- Advertisement -
धर्मशाला। भूमिहीन भूमि अधिकार मंच हिमाचल प्रदेश-सामाजिक-आर्थिक समानता के लिए जन अभियान वनभूमि पर आश्रित सीमान्त किसानों के लिए राज्य सरकार द्वारा नीति बनाने की पहल का स्वागत करता है और इसके साथ यह भी मांग करता है कि आवासहीनों के लिए बनाई गई आवासीय भूमि योजना में 50,000 रुपये की वार्षिक आय सीमा की शर्त से सफाई कामगारों, बंगाली घुमन्तु-विमुक्त समुदायों, गुज्जरों तथा एकल महिलाओं को बाहर रखा जाए। यह शब्द धर्मशाला में एक पत्रकार वार्ता के दौरान सामाजिक आर्थिक समानता के लिए जन अभियान के राष्ट्रीय संयोजक सुखदेव विश्वप्रेमी, राज्य महासचिव रमेश मस्ताना, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस हैदराबाद से परामर्शदाता सत्य प्रसन्न ने संयुक्त रूप से कहे। उन्होंने कहा कि नौतोड/पट्टों के अन्तर्गत भूमिहीनों को आवंटित की गई भूमि के केसों के निपटारे अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त (राजस्व) हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी कार्यालय आदेश के आधार पर किए जाएं, जो दिनांक 5 अक्तूबर 2006 को जारी किए गए है। उन्होंने बताया कि जंगलों पर निर्भर अनुसूचित जाति विरोधी शामलात भूमि संशोधन-2001 को निरस्त किया जाए, ताकि जंगलों पर निर्भर अनुसूचित जाति और अन्य वंचित समाज इसका लाभ उठा सकें।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के आधार पर राज्य सरकार राज्य स्तरीय भूमि सुधार नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए तथा इसके आधार पर प्रत्येक गैर कृषक परिवार की महिला के नाम से आवास के लिए कम से कम 600 गज भूमि दी जाए तथा प्रत्येक खेती करने वाले भूमिहीन परिवार की महिला के नाम से कम से 3.5 एकड खेती योग्य भूमि दी जाए। इस अवसर पर संयोजक पर्वतीय महिला अधिकार मंच विमला विश्वप्रेमी, अमित कुमार प्रधान भूमिहीन भूमि अधिकर मंच बैजनाथ व भुवनेश मान कार्यालय सचिव पालमपुर आदि उपस्थित थे।
- Advertisement -