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Solan: हिंदी साहित्य की सर्वोच्च उपाधि साहित्यवाचस्पति से नवाजे Shanta Kumar
Last Updated on March 1, 2020 by Vishal Rana
दयाराम कश्यप/सोलन। प्रदेश के पूर्व सीएम एवं साहित्याकार शांता कुमार को हिंदी साहित्य की सर्वोच्च उपाधि साहित्यवाचस्पति से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान सोलन में आयोजित तीन दिवसीय हिंदी साहित्य सम्मेलन.प्रयाग के 72वें अधिवेशन में दिया गया। शांता कुमार को साहित्य के लिए दिए गए अमूल्य योगदान के लिए इस सम्मान से विभूषित किया गया। शांता कुमार को यह उपाधि कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दी। बता दे कि शांता कुमार ने शांता कुमार ने साहित्य के लिए 20 विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी हैं।
रविवार को हिदी भाषा एवं साहित्य व देवनागरी के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित साहित्य सम्मेलन-प्रयाग के 72वें अधिवेशन एवं परिसंवाद का समापन हो गया। समापन समारोह में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय बतौर मुख्यातिथि के रूप में शरीक हुए। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षत हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम शांता कुमार ने की। सोलन में तीन दिन तक चले इस सम्मेलन में साहित्य परिषद, राष्ट्रभाषा परिषद व समाजशास्त्र परिषद सेशन में एक राष्ट्र एक भाषा व हिमाचल की साहित्य संपदा जैसे विषयों पर मंथन हुआ। देश भर के साहित्यकारों ने इस पर अपने विचार रखें। बता दें कि सोलन में पहली बार हुए इस सम्मेलन में नामी साहित्यकारों ने अपनी राष्ट्र भाषा पर मंथन किया।
हिंदी भाषा को बढ़ावा देने पर क्या बोले शांता कुमार
शांता कुमार (Shanta Kumar) ने पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि जिस तरह से उन्होंने योग को देश सहित विश्व भर में पहचान दिलाई, उसी तरह वह हिंदी भाषा (Hindi language) को बढ़ाने के लिए सार्थक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा राष्ट्र की भाषा है लेकिन इसका चलन बढने की बजाय घट रहा है व अंग्रेजी भाषा हावी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि जितनी जरूरी आजादी है उतनी ही जरूरी अपनी संस्कृति सभ्यता को बचाना है। यह बात शांता कुमार (Shanta Kumar) ने आज सोलन मे आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 72वें अधिवेशन के समापन अवसर पर मीडिया से बातचीत में कही।
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शांता कुमार ने कहा कि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना भी अति आवशयक है लेकिन जरूरत से ज्यादा घातक है। इस से युवा अपनी संस्कृति सभ्यता सहित भाषा से अनभिग्य होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनैतिक इच्छा शक्ति के कारण हिंदी भाषा को सरकारें तव्वजो नहीं दे रही है। हिंदी भाषा राष्ट् भाषा है लेकिन फिर भी अपने ही देश मे इसकी स्थिती दयनीय है। जो कि भारत के लिए अच्छी बात नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कार्यालयों में पत्राचार की भाषा सहित सभी जगह हिंदी का प्रयोग होना चाहिए। तभी हिंदी भाषा को जीवित रखा जा सकता है। उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी सहित सीएम जयराम ठाकुर से हिंदी की दिशा व दशा सुधारने के लिए सार्थक कदम उठाने का आग्रह किया है।