- Advertisement -
शिमला। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू (Kullu) जिले का शरण गांव देश के 10 हथकरघा गांवों में चुना गया है। यह जानकारी शुक्रवार को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी। स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने राज्य के लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) की बधाई दी। उन्होंने कहा कि कुल्लू जिला के धरोहर गांव नग्गर के समीप शरण गांव को देश के उन दस गांवों में शामिल किया गया है, जिन्हें हथकरघा गांव के रूप में चुना गया है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि इससे न केवल हथकरघा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ये गांव पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे। देश में निफ्ट केंद्रों से भी हथकरघा उत्पादों (Handloom Products) को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी हथकरघा उद्योग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना चाहते हैं, क्योंकि इससे न केवल हथकरघा क्षेत्र की आर्थिकी सुदृढ़ होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पाद भी उपलब्ध होंगे। इस अवसर पर हथकरघा निर्यातकों को खरीददारों से जोड़ने के लिए वर्चुअल प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हैंडलूम मार्क योजना के लिए आज शुरू की गई मोबाइल ऐप न केवल बुनकरों को सुविधा मिलेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को सही हथकरघा उत्पाद भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि माई हैंडलूम पोर्टल उपभोक्ताओं को हथकरघा उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा। शरण गांव में बुनकरों के लिए सुविधा केंद्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार देश में इस क्षेत्र को हर संभव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि हम सभी को स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना चाहिएए तभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्राप्त होगी।
सीएम जय राम ठाकुर ने जिला कांगड़ा के देहरा से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में लगभग 20 हजार लोग हथकरघा उद्योग से जुड़कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। हिमाचली शॉल और टोपी विश्व प्रसिद्ध है। कुल्लू और किन्नौरी शॉल को भारत सरकार द्वारा हथकरघा संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आरक्षित किया गया है और इन दोनों उत्पादों का पेटेंट करवाया गया है। सीएम ने कुल्लू में धरोहर गांव नग्गर के पास शरण गांव को हथकरघा गांव के रूप में विकसित करने को सहमति देने के लिए केंद्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार ने 118.63 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं, जबकि राज्य सरकार इसमें 13.40 लाख रुपये का योगदान देगी।
सीएम ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था को विशेष रूप से कुटीर उद्योग ने विशेषकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को काफी हद तक संभाला है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक जिला एक उत्पाद की अवधारणा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में हथकरघा विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हथकरघा उद्यमियों को राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम के माध्यम से धागा खरीदने के लिए 10 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश राज्य हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम के माध्यम से नौ जिलों में लगभग 450 हथकरघा बुनकरों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में 12 विक्रय केन्द्रों और एक विक्रय केन्द्र दिल्ली के माध्यम से हथकरघा उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित की जा रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य के कुल्लू, मंडी और कांगड़ा जिलों में राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 10 हथकरघा समूहों के लगभग 2500 बुनकरों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ग्रामीण कौशल योजना के अन्तर्गत बुनकरों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। कुल्लू जिला में 700 से अधिक बुनकर सहकारी समितियां और कुटीर उद्योग काम कर रहे हैं। इस उद्योग में लगभग छह हजार उद्यमी कार्यरत है जिसके अन्तर्गत 150 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार किया जा रहा है।
- Advertisement -