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शास्त्री और भाषा अध्यापकों को मांगा TGT का दर्जा, कैबिनेट बैठक में राहत दे सरकार
Last Updated on August 9, 2020 by Deepak
सुंदरनगर। शास्त्री और भाषा अध्यापकों को टीजीटी (TGT) का दर्जा देने की मांग की गई है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के जिला प्रधान मंडी अश्वनी गुलेरिया व समस्त जिला कार्यकारिणी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा टीजीटी हिंदी (Hindi) भाषा और संस्कृत भाषा का मामला वित्तीय प्रावधानों की वजह से टाला गया है, उसे सरकार और विभाग तुरंत सिरे चढ़ाने का प्रयास करे। संघ पिछले कई वर्ष से इस मांग को उठाता आ रहा है और इन दोनों वर्गों की मांग बिल्कुल जायज है। ये दोनों वर्गों में कार्यरत अध्यापक शिक्षा के अधिनियम 2009 तथा भाषा अध्यापक भर्ती एवं पदोन्नति संशोधित नियम 2012-13 के तहत सभी शर्तों को पूरा करते हैं। सभी अध्यापक बीएड (BED) और उच्च शिक्षा प्राप्त हैं और टीजीटी भर्ती नियमों के समकक्ष नियमों के आधार पर भर्ती हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आगामी कैबिनेट बैठक में मामले को मंजूरी प्रदान कर इन अध्यापकों को न्याय दिलाए।
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साथ 15 मई 2003 या उसके बाद सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले सभी लाभ जल्द से जल्द दिए जाएं। अपंग या आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार को पेंशन केंद्र सरकार की तर्ज पर दी जाए। संघ के जिला मंडी के लगभग चार हजार अध्यापकों ने एनपीएस के आह्वान पर एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो मुहिम को ट्विटर के माध्यम से पीएम नरेंद्र मोदी, माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री भारत सरकार रमेश पोखरियाल, माननीय वित्त मंत्री भारत सरकार निर्मला सीतारमण व सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) को नई पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का संदेश दिया और कहा कि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ इस नई पेंशन स्कीम को बंद करवाने के लिए एनपीएस संघ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। पुरानी पेंशन स्कीम बहाल होने तक यह संघर्ष जारी रखेगा।