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कुल्लू। विधायक महेश्वर सिंह ने सरकार के द्वारा लोक निर्माण विभाग के डिविजन-एक को बंजार शिफ्ट करने के फैसले पर विरोध जताते हुए कहा कि कुल्लू डिविजन-1 की स्थापना 1956 में की थी और पीडब्ल्यूडी का मंडल एक को बंजार स्थानान्तरित करना लोगों के हित में नहीं है। लोक निर्माण विभाग कुल्लू का जिला मुख्यालय ढालपुर स्थित मंडल-एक का मुख्यालय बंजार उपमंडल में स्थानांतरित किए जाने का प्रस्ताव मुख्यतौर से राजनीति से प्रेरित है, जो किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगा। यदि सरकार अपने फैसले पर अडिग रहती है तो वह न्यायालय का दरवाज खटाखटा सकते हैं, जिसके लिए वह विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि लोक निर्माण विभाग के डिविजन -1 के कुल्लू ब्लॉक की भी तीन दर्जन से अधिक पंचायत क्षेत्र आते हैं तथा वर्क लोड़ भी इसी क्षेत्र में अधिक है। ऐसे में मंडल-एक का कार्यालय बंजार स्थानांतरित न करके बंजार में अलग से डिविजन ऑफिस खोला जाना चाहिए।
विधायक ने कहा कि सरकार द्वारा लोक निर्माण विभाग डिविजन-एक का कार्यालय बंजार स्थानांतरित करने की योजना है, जिससे जिला कुल्लू की 40 से अधिक पंचायतों के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। महेश्वर ने कहा कि इस प्रभाग के तहत कुल्लू ब्लॉक की ही 607 किलोमीटर सड़कें जबकि बंजार ब्लॉक की 380 किलोमीटर सड़कें आती हैं, ऐसे में कुल्लू की ओर इसका कार्यभार अधिक है। इस स्थिति में कार्यालय का स्थानांतरित किया जाना यहां के जनमानस का बर्दाशत नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि डिविजन -1 का मुख्य कार्यालय बंजार शिफ्ट किए जाने से असंतुलन की स्थिति पैदा होगी। इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह को भी पत्र प्रेषित किया था, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं।
महेश्वर का कहना है कि हिमाचल पूर्ण राज्यत्व दिवस के अवसर पर सीएम कुल्लू पधार रहे हैं, ऐसे में वह इससे बड़ी घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार लोगों का हित चाहती है तो सीएम बंजार में अलग से प्रभाग खोलने की घोषणा करें। उन्होंने कहा कि जिला में सड़क, बिजली, पानी व स्वास्थ्य सुविधा चरमराई हुई है और जिससे लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह हर दिन घोषणाएं करते हैं और दिन रात उद्वघाटन व शिलान्यास के बारे में सोचते रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का सत्यनाश हुआ है और दूर दराज के क्षेत्रो में सरकार को बच्चों की चिंता नहीं है और सरकार अध्यापकों की चिंता कर रही है।
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