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सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की लड़ाई लड़ते रहे बरागटा
Last Updated on June 5, 2021 by Sintu Kumar
मुख्य सचेतक व
जुब्बल- कोटखाई के विधायक नरेंद्र बरागटा का निधन हो गया। 69 वर्षीय बरागटा कुछ समय से बीमार चल रहे थे और पीजीआई में उनका इलाज चल रहा था। आज सुबह पांच बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। कोविड से उबरने के बाद बरागटा पिछले कुछ समय से फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे थे और 10- 12 दिन से पीजीआई में एडमिट थे। बरागटा की हार्ट की सर्जरी के उपरांत कोविड से पीड़ित हो गए थे। लेकिन उन्होंने कोरोना को तो मात दे दी लेकिन फिर उनके फेफड़ों में पानी भर जाने से उन्हें निमोनिया की गंभीर शिकायत हो गई थी। इसी के चलते उन्हें पीजीआई में भर्ती करवाया गया था। बीते कल ही सीएम जयराम ठाकुर व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप बरागटा का हालचाल जानने के लिए उनके बेटे चेतन बरागटा से चंडीगढ़ में मिले थे। बरागटा क्योंकि आईसीयू में थे, इसलिए उनसे मिलने की किसी को अनुमति नहीं थी।बरागटा के पार्थिव शरीर को पीजीआई से चंडीगढ़ स्थित हिमाचल भवन ले जाया गया। वहां से बरागटा के पैतृक गांव कोटखाई स्थित टहटोली ले जाएगा जहां पर कल रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। नरेंद्र बरागटा का जन्म 15 सितंबर 1952 को गिंदा देवी व सूरत सिंह बरागटा के घर हुआ था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने राजनीति शास्त्र में एमए की। वे पहली बार शिमला से वर्ष 1998 में विधायक चुने गए। इसके बाद वे दोबारा जुब्बल-कोटखाई से 2007 में विधायक बने। इस दौरान वह धूमल सरकार में बागवानी मंत्री भी रहे। बरागटा तीसरी बार 2017 में विधायक चुने गए। इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। जयराम सरकार ने बरागटा को विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया था। सीएम जयराम ने बरागटा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है। सीएम ने लिखा है आज हमने एक ईमानदार नेता खो दिया है, यह जुब्बल-कोटखाई एवं हिमाचल बीजेपी ही नहीं पूरे हिमाचल के लिए अपूर्णीय क्षति है।