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शिमला नगर निगम कर्मचारियों को भी चाहिए OPS,आयुक्त कार्यालय के बाहर किया प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को OPS बहाल कर दी है। सरकार ने प्रदेश के सरकारी विभागों के कर्मियों सहित बोर्डों निगमों के लगभग 1 लाख 36 हजार कर्मियों को OPS का लाभ देने का दावा किया है लेकिन प्रदेश में OPS बहाल करना सरकार व प्रशासन को टेड़ी खीर साबित हो रहा है। अब नगर निगम के कर्मचारियों ने भी OPS के लिए मोर्चा खोल दिया है शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के नगर निगम के कर्मचारियों ने OPS के लिए नगर निगम कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और कहा कि सरकार ने प्रदेश के सभी बोर्डो निगमो के कर्मियों को OPS बहाली की नोटिफिकेशन कर दी है लेकिन निःगम प्रशासन ज्ञापन देने के बाद भी आनाकानी कर रहा है। उंन्होंने बताया कि निगम प्रशासन ने कर्मचारियों का सीपीएफ काटना भी पिछले महीने बन्द कर दिया, जिसके बाद कर्मचारियों को लग रहा रहा था कि अब कर्मचारियों को जीपीएफ खाते अलॉट हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
महापौर से भी बैठक कर उनके समक्ष भी मांग उठाई
नगर निगम कर्मचारी महासंघ के नेता ने कहा कि नगर निगम के कर्मचारी जो NPS के दायरे में आते है वो पिछले डेढ़ महीने से लगातार प्रशासन के समक्ष मांग उठा रहे है कि नगर निगम के कर्मचारियों के जीपीएफ एकाउंट बनाए जाए लेकिन नगर निगम प्रशासन नोटिस देने के बाद भी हवाला दे रहा है कि उन्होंने इसको लेकर सरकार को क्लेरिफिकेशन के लिए भेज दिया है लेकिन नगर निगम कर्मचारियों का कहना है कि इसको लेकर क्लेरिफिकेशन लेने की वैसे तो कोई जरूरत ही नहीं है क्योंकि अधिसूचना में लिखा है कि बोर्डों- निगमों के सभी कर्मचारियों को OPS दी जाएगी जो NPS के दायरे में आते है लेकिन अगर नगर निगम प्रशासन को क्लेरिफिकेशन ही लेनी थी तो पहले ले लेनी चाहिए थी।
उन्होंने इस मसले को लेकर नगर निगम आयुक्त व नव निर्वाचित नगर निगम महापौर से भी बैठक कर उनके समक्ष भी मांग उठाई है। कीसरकार द्वारा जारी SOP में साफ शब्दों में कहा गया है कर्मचारियों को 60 दिनों में बिलिंग देनी है लेकिन नगर निगम प्रशासन अभी भी क्लेरिफिकेशन ले रहा है जिसके कारण कर्मचारियों को आज धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है। आगामी रणनीति को लेकर उन्होंने कहा कि आयुक्त नगर निगम ने उन्हें अभी मिलने बुलाया है बैठक में क्या फैसला होता है उसके बाद आगामी रणनीति पर कर्मचारी महासंघ फैसला लेगा।
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