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MC Shimla की बैठक में हंगामा, पानी के बिलों और दुकानों के किराए पर तपा सदन
Last Updated on January 31, 2020 by Deepak
शिमला। शहर में जल निगम द्वारा दिए जा रहे भारी भरकम बिलों और नगर निगम की दुकानों के किराए में हुई बढ़ोतरी को लेकर आज नगर निगम (MC) की मासिक बैठक में खूब हंगामा हुआ। कांग्रेस (Congress) पार्षदों के साथ बीजेपी (BJP) पार्षदों ने भी पानी के बिलों को कम करवाने की मांग की। वहीं, कांग्रेस पार्षद और व्यापार मंडल के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह ने सदन शुरू होते ही दुकानों के बढ़ाएं गए किराए का मामला सदन में उठाया और किराया दोबारा निर्धारित करने की मांग उठाई। इस मुद्दे पर बीजेपी (BJP) के पार्षद भी महापौर और उप महापौर से उलझ गए। उप महापौर द्वारा पूर्व की नगर निगम के महापौर द्वारा कमेटी बनाने की बात कही और इस पर पूर्व महापौर भड़क गई और सदन में जम कर हंगामा हुआ। बीजेपी पार्षद संजीव ठाकुर ने भी दुकानदारों को राहत देने की बात कही। नगर निगम (MC) के आयुक्त पंकज राय ने दुकानों के किराए को दोबारा निर्धारित करने के लिए कमेटी गठित करने की बात कही।
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कांग्रेस पार्षद इंदरजीत सिंह ने कहा कि नगर निगम ने दुकानों के किराए में सौ गुना वृद्धि कर दी है और दुकानदार बड़ा हुआ किराया देने में असमर्थ हैं। इससे पहले भी कई बार नगर निगम के समक्ष ये मामला उठाया गया, लेकिन इसमें कोई राहत नहीं दी जा रही है। संजीव ठाकुर ने कहा कि शहर के दुकानदारों को नगर निगम ने मनमाने तरीके से किराया बढ़ा दिया है। दुकानदार ये किराया नहीं दे पा रहे हैं और निगम से नियमों के तहत किराया निर्धारित करने की मांग की गई है ।
पार्षद आरती चौहान ने कहा कि पानी के भारी भरकम बिल से जनता परेशान है। केवल मर्ज वार्डों को राहत दी गई है, जबकि 18 कोर वार्डों को बिलों में कोई राहत प्रदान नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन बोर्ड की आज जो बैठक हुई है, उसमें कोर एरिया को कोई राहत नहीं मिली है। महापौर और उपमहापौर इस प्रबंधन बोर्ड के सदस्य हैं। उन्होंने जनता को निराश किया है।
वहीं, नगर निगम की बैठक में टाउन हॉल का मुद्दा भी चर्चा का विषय रहा जिस पर सदन में पार्षद भड़क उठे। ऐतिहासिक टाउन हॉल (Historic Town Hall) में सदन और पार्षदों के बेठने के लिए रूम दिए जाने के लिए अब नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने का मन बना लिया है। हाईकोर्ट (High Court) ने टाउन हॉल में महापौर और उप महापौर के बैठने के अलावा कोई भी अन्य गतिविधि न करने के निर्देश जारी किए हैं, जिसके बाद नगर निगम की ई विधान को लागू करने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।