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दो पिंजरा लगाकर तेंदुए की आस में बैठा शिमला वन्यजीव विभाग
शिमला। राजधानी में तेंदुए (leopard) द्वारा किसी इंसान को शिकार बनाने का यह पहला है। इससे पहले 20 जून को कृष्णानगर में शिकार पर निकले तेंदुए ने एक युवक पर जानलेवा हमला कर दिया था। गनीमत रही थी कि उक्त युवक की जान बच गई। अब पांच साल की बच्ची के तेंदुए द्वारा उठाकर ले जाने से शहर में दहशत का माहौल बन गया है। इधर, वन्यजीव विभाग (wildlife department) का कहना है कि उक्त तेंदुए को आदमखोर घोषित नहीं किया जा सकता। वहीं, वन्यजीव विभाग उसे पकड़ने के लिए घटनास्थल के समीप दो पिंजरे लगाकर आस में बैठ गया है।
घटनास्थल के पास लगाए गए हैं पिंजरे
बता दें कि यह पिंजरे उसी निर्माणाधीन भवन के आसपास लगाए गए हैं। जहां से गुरुवार रात साढ़े आठ बजे तेंदुए ने बच्ची को उठाया था। इसके अलावा तीन ट्रैप कैमरे (camera) लगाए जाएंगे। यह कैमरे रात के समय इलाके में तेंदुए की गतिविधि पर नजर रखेंगे। दो और कैमरे शनिवार को यहां लगा दिए जाएंगे। विभाग का कहना है कि एक शिकार के बाद तेंदुआ अपनी लोकेशन बदल देता है। वहीं, वन्यजीव विभाग की पीसीसीएफ अर्चना शर्मा ने भी शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा किया। पीसीसीएफ का कहना है कि एक घटना से यह तय नहीं किया जा सकता कि यह तेंदुआ आदमखोर (anthropophagous) बन गया है। अंदेशा है कि यह किसी पालतू जानवर के शिकार के लिए यहां आया हो। बच्ची को देखकर उसपर झपट पड़ा। इसकी अगली गतिविधि देखने के बाद इसे आदमखोर घोषित करने पर फैसला लेंगे।
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फौरी राहत देने तक के पैसे नहीं
मालूम हो कि जंगली जानवर के हमले में मौत होने पर चार लाख रुपये तक के मुआवजे (compensation) का प्रावधान है। वन्यजीव विभाग ने इस बारे में डीएफओ शिमला (DFO Shimla) शहरी से रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में मृतक के परिजनों का ब्योरा दिया जाएगा। नियमानुसार इस मुआवजे की 25 फीसदी राशि फौरी राहत के तौर पर दी जाती है। बच्ची के परिजनों को भी करीब एक लाख रुपये की फौरी राहत दी जानी थी, लेकिन विभाग के पास इसके लिए पैसा नहीं था। सिर्फ राजस्व विभाग ने पांच हजार रुपये दिए। वन विभाग के अनुसार पहले किसी भी फंड से फौरी राहत दी जा सकती थी। अब ट्रेजरी से यह राशि दी जाती है। अभी ट्रेजरी में महज 25 हजार बचे हैं। ऐसे में मुआवजा देने के लिए जल्द उच्चाधिकारियों को लिखा जा रहा है।
तेंदुए के हमले के बाद सहमे लोग
तेंदुए के हमले के बाद लोग सहम गए हैं। साथ ही स्ट्रीट लाइट खराब होने के कारण रात को पैदल चलने से डर रहे है। वहीं, स्थानीय निवासियों का कहना है कि बीते साल कई बार तेंदुआ यहां रिहायशी इलाके में घूमता रहा है, लेकिन वन विभाग ने इसे पकड़ने के लिए पिंजरे तक नहीं लगाए। उनका कहना है कि नगर निगम (Municipal Corporation) कम से कम स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था तो करे।
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