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हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के महाशिवरात्रि( Mahashivratri) व्रत रखा जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को है। साथ ही यह पर्व कई शुभ संयोगों के साथ मनाया जा रहा है। चतुर्दशी तिथि 11 मार्च को दोपहर 2 .41 मिनट से 12 मा्र्च की दोपहर 3 बज कर 3 मिनट तक रहेगी। इसके साथ सुबह शिव योग महाशिवरात्रि की सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा और उसके बाद सिद्ध योग लग गाएगा जो अगले दिन सुबह 8 बजकर 29 मिनट कर रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभ फलदायी होते हैं जबकि सिद्ध योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलती है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा चार बार की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए। वेदों में रात्रि के चार प्रहर बताए गए हैं। इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
निशित काल पूजा मुहूर्त: 11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
पहला प्रहर: 11 मार्च की शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक
दूसरा प्रहर: रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
तीसरा प्रहर: रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक
चौथा प्रहर: 12 मार्च की सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त: 12 मार्च, सुबह 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शंकर को बिल्व पत्र, धतूरा, बेर आदि अर्पित किए जाते हैं। इस दिन कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान जैसे रूद्राभिषेक और महा महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र के जाप से कई कष्टों का निवारण होता है।
ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्।।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप स्वास्थ्य लाभ के लिए फायदेमंद रहता है। सुबह पूजा के समय अगर इस मंत्र का जाप किया जाता है तो कई प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
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