- Advertisement -
शिमला। प्रदेश के किसानों और बागवानों की समस्याओं को लेकर हिमाचल किसान सभा 5 अप्रैल को विधानसभा का घेराव करेगी। किसानों और बागवानों के सरकारी जमीनों पर किए गए अवैध कब्जों को नियमित करने की मांग इसमें प्रमुख रहेगी। इसके अलावा बंदरों की समस्या से किसानों और बागवानों को राहत देने की मांग भी बुलंद होगी। हिमाचल किसान सभा की आज जिला इकाई के बैठक में किसानों के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई और इस बाबत रणनीति बनी। बैठक में कहा गया कि सरकारी जमीन को छोटे किसानों को देने का मामला किसान सभा व सेब उत्पादक संघ के हस्तक्षेप से किसानों की एकता से कुछ सिरे चढ़ा है। किसानों की एकता ने साबित कर दिया कि जो सरकार संकल्प प्रस्ताव से पहले लोगों से जमीन छोड़ने की अपील कर रही थी, वह आज किसानों के दबाव में छोटे किसानों के लिए नीति बनाने की बात कर रही है। हिमाचल किसान सभा के राज्य सचिव राकेश सिंघा इस बैठक में विशेष रूप से उपस्थित हुए। बैठक में किसानों और बागवानों की समस्याओं पर विचार किया गया और उनकी समस्याओं को उठाने पर रणनीति बनी।
बैठक में कहा गया कि सरकारी जमीन से किसानों की बेदखली रोकने, जंगली जानवरों की समस्या के स्थायी समाधान, मनरेगा, सब्जी व दूध के मुद्दों को लेकर 5 अप्रैल को विधानसभा का मार्च किया जाएगा। इस रैली में शिमला जिला से हजारों किसानों को लामबंद किया जाएगा। आज की बैठक में इस रैली को लेकर विस्तार से चर्चा कर रणनीति बनाई गई। बैठक में सिंघा ने कहा कि सरकारी भूमि पर किए गए अवैध कब्जों को लेकर राज्य सरकार किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है और किसानों से इससे बचने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाया जाएगा कि किसानों को सरकारी जमीन से बेदखली न हो और शिमला में बड़ी रैली के माध्यम से ऐसा होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों और बागवानों को हमेशा ठगा और भ्रमित ही किया है। सिंघा ने कहा कि बंदरों को वर्मिन घोषित करके भी अभी तक राज्य सरकार ने किसानों को इससे राहत देने में कोई भी कदम नहीं उठाया है। यहां तक की बंदूकों के लाइसेंस की फीस 50 रुपए से बढ़ाकर 1700 रुपए जरूर की है। इससे कांग्रेस सरकार की राज्य के किसानों के प्रति इरादों का साफ पता चलता है। बैठक में किसान सभा की शिमला जिला इकाई के अध्यक्ष सत्यवान पुंडीर ने कहा कि 5 अप्रैल की शिमला रैली के लिए खंड व पंचायतों में बैठकें और अधिवेशन किए जाएंगे और शिमला जिला में 20 हजार सदस्यों को किसान सभा से जोड़ा जाएगा।
- Advertisement -