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भगवान रघुनाथ की नगरी में छोटी Holi की धूम, खूब उड़ा गुलाल
Last Updated on March 8, 2020 by Sintu Kumar
कुल्लू। भगवान रघुनाथ की नगरी होली के रंगों से सराबोर हो गई। कुल्लू में छोटी होली (Holi) के साथ ही रंग उड़ना शुरू हो गए हैं। जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर, सरवरी, अखाड़ा बाजार व सुल्तानपुर में सुबह से ही लोग टोलियों में निकल पड़े और एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। हालांकि कुल्लू में होली के 8 दिन पहले से ही वैरागी समुदाय (महंत) के लोग होली खेलने के साथ होली गाते भी हैं। कुल्लू जिला में होली का इतिहास भगवान रघुनाथ के कुल्लु आने के साथ ही शुरू हुआ था। भगवान रघुनाथ के साथ महंत समुदाय के लोग कुल्लू आए थे और उस समय से ही होली का प्रचलन कुल्लु जिला में शुरू हो गया था।
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कुल्लू जिला में होली में रंगों से खेला जाता है और मथुरा और अवध की तर्ज पर होली के गायन का भी आयोजन किया जाता है। होली के दौरान कुल्लू के अधिष्ठाता देवता रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल उड़ाया जाता है। यह होली बाकी जगहों से पहले ही छोटी होली और बड़ी होली की तरह मनाई जाती है। छोटी होली को कुल्लु शहर में देवता ध्रुव ऋषि का झंडा शहर में लोगों के घर-घर के जाकर होली खेलता है। अगले दिन होली पूरे शहर भर में खेली जाती है। कुल्लू जिला में दिनभर होली उत्सव के लिए शहर के बाजारों में रौनक लगी रही, जिसमें घाटी में खरीदारी के लिए बड़ी संख्या में लोग की भीड़ उमड़ी और लोगों ने बाजार से पिचकारी, गुलाल के साथ रंग खरीदे।
स्थानीय निवासी मित्र भुषन मंहत ने बताया कि भगवान रघुनाथ के साथ अयोध्या से महंत समुदाय के लोग 1660 ईस में कुल्लू आगमन के बाद वहां की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। राजेंद्र शाह ने बताया कि कुल्लू घाटी में छोटी होली की परंपरा का निर्वहन प्राचीन समय से किया जा रहा है और घाटी में अखाड़ा बाजार में सभी लोग एक दूसरे को रंग लगाकर रंगों का त्यौहार मना रहे हैं।