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दयाराम कश्यप, सोलन। सोलन (Solan) की बहू ने शिमला में अपने पिता (Father) की अंतिम क्रिया कर्म (funeral) की रस्मों को निभाकर एक मिसाल पेश की है। वहीं उसके इस कार्य में पति और सास ससुर ने उसका सहयोग देकर समाज में फैली विभिन्न प्रकार की भ्रांतियों को मिथ्या साबित कर दिया। बता दें कि सूफी भटनागर अपने माता-पिता की इकलौती संतान है और जब उसके पिता का निधन हुआ तो उसने खुद अपने पिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया। जिसमें उसके पति और सास ससुर ने भी उसका साथ दिया।
मिली जानकारी के अनुसार सोलन के पास शांडिल निवास में रहने वाली सूफी भटनागर के पिता एसएम भटनागर (82) न्यू शिमला का निधन हो गया। वह हिमाचल प्रदेश सचिवालय से अंडर सेक्रेटरी पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके निधन की बता सुनकर उनकी इकलौती बेटी सूफी भटनागर ने खुद अपने पिता के अंतिम संस्कार की इच्छा जताई। जिसे उनके पति ध्रुव शांडिल, सास मधु शांडिल और ससुर भूषण शांडिल ने स्वीकार कर अपनी बहू का हौसला बढ़ाया। जिसके बाद सूफी भटनागर ने 5 अगस्त को शिमला में अपने पिता का अंतिम संस्कार पूरे हिन्दू परम्परा से किया और पिता की अस्थियों को लेकर हरिद्वार भी गईं।
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