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Uttarakhand: चीन सीमा क्षेत्र के लिए 80 वाहनों में सैनिक रवाना, छुट्टी गए जवानों को ड्यूटी ज्वाइन करने के निर्देश
Last Updated on June 18, 2020 by Deepak
देहरादून। भारत-चीन सीमा (India-china Border) पर चल रहे विवाद के बीच उत्तराखंड (Uttrakhand) के सीमांत जनपद पर भी चीन सीमा क्षेत्र पर हलचल तेज हो गई है। जिसके चलते 80 वाहनों में सैनिकों को रवाना कर दिया गया है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में हथियार और तोप भी सीमा क्षेत्र में भेजी गई हैं। इसके अलावा छुट्टी गए जवानों को भी जल्द ड्यूटी ज्वाइन करने के निर्देश दे दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि सीमा (Border) के साथ लगते इलाकों में सतर्कता बरती जा रही है।
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उत्तराखंड के इन इलाकों में सेना ने बढ़ाई चौकसी
उत्तराखंड के धारचूला(पिथौरागढ़) में जौलजीबी, बलुवाकोट, धारचूला से लेकर व्यास घाटी के कालापानी तक नेपाल (Nepal) सीमा के महाकाली नदी किनारे एसएसबी (SSB) हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। कालापानी विवाद और लिम्पिया धुरा को अपने नक्शे में दर्ज करने बाद से सीमा में सेना, आईटीबीपी और एसएसबी अधिक मुस्तैदी के साथ सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। उत्तरकाशी जिले से भी चीन की करीब सवा सौ किमी सीमा लगती है। साल 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान सीमावर्ती नेलांग एवं जाढ़ूंग गांव खाली कराकर यह पूरा क्षेत्र सेना के हवाले कर दिया गया था।
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हमारी सेना किसी का भी मुकाबला कर सकती है : त्रिवेंद्र सिंह रावत
मौजूदा समय में नेलांग, नागा, नीलापानी, जाढ़ूंग, सोनम, त्रिपाणी, पीडीए, सुमला एवं मंडी तक सैनिकों के लिए सड़कें बनाई गई हैं। इन जगहों पर आईटीबीपी व सेना के जवान तैनात हैं। गलवां घाटी में भारत और चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद ग्रिफ ने भी सड़क का निर्माण कार्य तेज कर दिया है। यह सड़क ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। उधर, उत्तराखंड (Uttrakhand) के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (CM Trivendra Singh Rawat) का कहना है कि एक बार फिर चीन ने धोखा दिया। साल 1962 को दोहराने का काम किया है। उन्होंने कहा है कि अब चीन की गलतफहमी दूर हो जानी चाहिए। वह 1962 था, यह 2020 का भारत है। हमारी सेना किसी का भी मुकाबला कर सकती है।