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Legislative Assembly: शिमला। विधानसभा के विशेष सत्र की शुरूआत पूर्व आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह और पूर्व विधायक मूलराज पाधा को श्रद्धाजंलि के साथ हुई। सदन के नेता सीएम वीरभद्र सिंह ने इन दोनों नेताओं के निधन पर शोकोद्गार पेश किया। इस दौरान सदन का माहौल गमगीन हो गया और कर्ण सिंह की यादों को सदस्यों ने ताजा किया। सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि 12 मई को 59 वर्ष की उम्र में आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह का देहांत हुआ। उनके निधन से प्रदेश ने मिलनसार और हंसमुख चेहरा सदा के लिए चला गया। उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह ने फर्गूसन कॉलेज में बीए आनर्स किया और उसके बाद 1990 में वे पहली बार विधायक चुने गए थे और 1998 में दूसरी बार विधायक बने और फिर प्राथमिक शिक्षा मंत्री बने। इसके बाद वे 2012 में तीसरी बार विधायक बने और 2015 में वे आयुर्वेद मंत्री बने।
सीएम ने कहा कि वे ईश्वर से दिवंग्त आत्मा की शांति की कामना करते हैं और ईश्वर से दिवंग्त आत्मा की शांति की कामना की और परिवारजनों को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। सीएम ने पूर्व विधायक मूलराज पाधा (80) के निधन पर भी शोक जताया और कहा कि वे 1985 में धर्मशाला से विधायक चुने गए थे। उन्होंने कहा कि मूलराज पाधा की सामाजिक कार्यों में रूचि थी। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की और शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताई।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रेमकुमार धूमल ने कहा विधानसभा के पिछले सत्र में हंसमुख चेहरा सबके सामने था लेकिन इसी माह मिलनसार व्यक्तित्व रखने वाले कर्ण सिंह का निधन हो गया और इससे पूरा सदन सदमे में हैं। धूमल ने कहा कि कर्ण सिंह ने 1990 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीते थे। इसके बाद 1998 में भी बीजेपी से चुनाव लड़े और जीते। उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह जिस भी दल में रहे, उनकी मित्रता दल से ऊपर उठकर थी। उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह की कमी खलती रहेगी और इस दुख की घड़ी में वे शोकाकुल परिवार के साथ हैं। उन्होंने पूर्व विधायक मूलराज पाधा के निधन पर भी शोक जताया और कहा कि उन्होंने पंचायत प्रधान से विधायक तक का सफर तय किया था।
स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि यह दुख की बात है कि हमारे सहयोगी कर्ण सिंह आज सदन में मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है। उन्होंने पूर्व विधायक मूलराज पाधा के निधन पर भी शोक जताया। परिवहन मंत्री जीएस बाली ने इस शोकोद्गार में शामिल होते हुए कहा कि कर्ण सिंह काफी हंसमुख थे और मिलनसार थे। उन्होंने कहा कि बीमारी के बाद जब उनका देहांत हुआ तो उनकी अंतिम यात्रा में वे भी शामिल हुए। उस दौरान वहां जो भीड़ उमड़ी थी, उससे उनकी लोकप्रियता का पता चलता था। बाली ने पूर्व विधायक मूलराज पाधा के निधन पर भी शोक जताया और कहा कि जब वे बीमार थे तो वे उनसे मिले थे।
उन्होंने स्व. मूलराज पाधा के निधन पर शोक जताते हुए शोकाकुल परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की। इसके साथ ही बीजेपी सदस्य ठाकुर गुलाब सिंह ने कहा कि स्व. कर्ण सिंह अलग तरह के व्यक्ति थे। उन्होंने पूर्व विधायक मूलराज पाधा के निधन पर भी शोक जताया। विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने भी पूर्व मंत्री स्व. कर्ण सिंह और पूर्व विधायक मूलराज पाधा के निधन पर शोक बताया। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में वे भी शोकाकुल परिवार के साथ हैं। इसके बाद सदन में इन दोनों सदस्यों निधन पर दो मिनट का मौन भी रखा और श्रद्धांजलि दी।
कर्ण सिंह के बड़े भाई और बीजेपी सदस्य महेश्वर सिंह ने कहा कि कुछ विभूतियां ऐसी होती हैं जो गहरी छाप छोड़कर जाती हैं और उनमें कर्ण सिंह भी एक थे। उन्होंने कहा कि कर्ण सिंह उनसे साढ़े आठ वर्ष छोटा था और घर में सबका लाडला था। घर में दादा-दादी, माता-पिता का लाडला होने के कारण उन्होंने मैट्रिक तक कुल्लू में ही पढ़ाई की। उन्होंने कहा कि फिर बड़ी बहन उन्हें पुणे ले गई और वहां फर्गूसन कॉलेज में बीए आनर्स किया। उन्होंने कहा कि उनके लोकसभा में जाने के बाद कर्ण सिंह बंजार सीट से विधानसभा चुनाव में उतरे और जीते। वे 1998 में फिर इसी सीट से जीते थे।
महेश्वर सिंह ने कहा कि 2010 में परिवार में ऐसी घटना घटी, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। उन्होंने कहा कि उस समय कर्ण सिंह के बड़े बेटे की मौत हो गई और इससे कर्ण सिंह के जीवन में परिवर्तन आ गया। पुत्र वियोग को वे सहन नहीं कर पाए। उनके मित्र उन्हें रोकते थे, लेकिन वे गम में गमगीन हो गए। वे गरीबों की मदद को हमेश आगे रहते थे। इस बीच 15 अप्रैल को उन्हें कहा गया कि कर्ण सिंह को चलने में दिक्कत हो रही है तो वे मानने को तैयार नहीं थे, लेकिन बाद में पता चला कि उनके फेफड़े में पानी भर गया था।
महेश्वर ने कहा कि इस बीच ऐसी घटनाएं घटी कि परिवार से दूर हो गए और इसमें उसका दोष नहीं था। वह कमजोर हृदय के थे और कुछ लोगों ने इसका फायदा उठाया और उन्हें गुमराह किया और आज ऐसा वक्त आया कि वह हमसे क्या, सबसे दूर हो गए। उनकी लोकप्रियता का का पता तब चला, जब वे हजारों लोग उनकी अंतिम यात्रा में विदाई देने आए। उन्होंने कहा कि घर पर 88 वर्ष की बुजुर्ग मां है और उन पर क्या गुजर रही है वह भगवान ही जानता है। उधर, सिंचाई मंत्री विद्या स्टोक्स शोकोदगार के दौरान भावुक हो गई और उनकी आंखों से आंसू निकल आए।
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