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विस विशेष सत्रः यह विधेयक पारित, नोंकझोंक भी हुई-कौन क्या बोला-जानिए
Last Updated on January 7, 2020 by Deepak
शिमला। हिमाचल विधानसभा (Himachal Vidhan Sabha) के विशेष सत्र में ‘संविधान (126वां संशोधन) विधेयक-2019′ पास हो गया है। इस विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों को दिए गए आरक्षण को 10 साल बढ़ाने का प्रावधान है। सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुई। रामपुर विधानसभा के पूर्व विधायक निंजू राम के निधन पर शोकोद्गार पेश किया। पक्ष और सत्तापक्ष ने पूर्व विधायक को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने संविधान (126 संसोधन) विधेयक 2019 द्वारा प्रस्तावित 368 के खंड (2) के परन्तुक के खंड (घ) के अंतर्गत भारत के संविधान का संसोधन करने का अनुसमर्थन किया। सीएम ने कहा कि 10 जनवरी तक देश की 50 फ़ीसदी विधानसभा में इसको अगले 10 साल तक के लिए पारित करना जरूरी था, इसलिए इस विधेयक के लिए हिमाचल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। दिसंबर में शीतकालीन सत्र (Winter Session) के बाद केंद्र ने इसको लाया इसलिए उस वक़्त इसे सदन में नहीं लाया जा सका। अब क्योंकि 25 जनवरी से पहले इसे पारित करना है, इसलिए विशेष सत्र बुलाया गया है।
नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने राज्यसभा के अभिभाषण पर भी सवाल उठाए
नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) ने कहा कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) इस विधेयक का पूरा अनुसमर्थन करता है। 70 साल से यह आरक्षण चला आ रहा है। हिमाचल विधानसभा में भी 17 सदस्य एससी (SC) से हैं, जबकि 3 सदस्य एसटी (ST) वर्ग से चुने हुए हैं। इस प्रावधान को समाज में बराबरी के लिए किया गया है। अब 2030 तक ये बढ़ाया जाना है। डॉ, अंबेडकर का जिक्र करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि 70 साल बाद भी वह नहीं हो पाया, जिसकी बाबा अंबेडकर ने उम्मीद की थी इसलिए इसकी बढ़ाना पड़ा। मुकेश ने कहा कि लोकसभा में भी 84 सीट एससी व 47 सीट एसटी की हैं, जबकि देश की विधानसभाओं में 614 सदस्य एससी वर्ग के हैं। अग्निहोत्री ने प्रदेश में एससी वर्ग के साथ आज भी हो रहे भेदभाव पर दुःख व्यक्त किया व इसको दूर करने पर बल दिया। अग्निहोत्री ने राज्यसभा के अभिभाषण पर भी सवाल उठाया और कहा कि या तो दिसंबर में विशेष सत्र बुला लिया जाता या फिर राज्यपाल का अभिभाषण पूरा करवाया जाता। संविधान के मुताबिक़ राज्यपाल एक बार ही सदन में आ सकते हैं या फ़िर नई सरकार बनने पर राज्यपाल आ सकते हैं। यह सरकार की नाकामी है कि आज राज्यपाल का अभिभाषण नहीं करवा पाए। इस पर विस्तृत चर्चा होती।
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कृषि मंत्री राम लाल मार्कंडेय ने कहा कि इस वक़्त आरक्षण विधेयक पर चर्चा की जरूरत नहीं है। इसको आज सिर्फ पारित किया जाना है। कांग्रेस के विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि आरक्षण बीजेपी की उपलब्धि नहीं है। इसका श्रेय लेने की कोशिश सत्ता पक्ष न करे। इस संविधान को बनाने के लिए 2 साल का वक़्त लगा था। यह कांग्रेस की ही देन है। विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज ने कहा कि हालात अभी भी उतने बदले नहीं हैं, जितनी कि उम्मीद थी। अब भी देश प्रदेश में एससी को प्रताड़ित करने की खबरें प्रकाशित होती रहती हैं। ठियोग के विधेयक राकेश सिंघा ने भी इस आरक्षण के विधेयक का समर्थन किया। आरक्षण को बढ़ाना एक रिव्यू है, लेकिन आज भी इसकी जरूरत क्यों है। 70 साल बाद भी इस वर्ग को न्याय नहीं दे पाए। मिड डे मील में अलग बिठाया जाना, मंदिरों में प्रवेश न देना व अन्य भेदभाव आज भी जारी है।
विधायक राकेश पठानिया ने जब बिल पर बोलना शुरू किया तो सदन में शोर मच गया। राकेश पठानिया ने विपक्ष को घेरा और आरक्षण का सारा का सारा ठीकरा विपक्ष पर फोड़ना शुरू कर दिया। इस पर दोनों तरफ से बहसबाजी शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा की जरूरत नहीं थी। विपक्ष इसका राजनीतिकरण कर रहा है। इस पर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस नहीं बल्कि आरएसएस आरक्षण का विरोध करती रही है। इस पर दोनों तरफ से हंगामा हुआ व तीखी नोंकझोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि आरएसएस को बीच में न लाएं। विधायक जगत नेगी ने कहा कि आज देश को मनुवादी, रूढ़िवादी व छुआछूत से आज़ादी चाहिए। मनुवादी कलंक जब तक नहीं हटेगा छुआछूत से आज़ादी नहीं मिलेगी। सामाजिक अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि नाचन विधानसभा के मंदिर में उन्हें भी प्रवेश नहीं करने दिया गया था।
सीएम जयराम ठाकुर बोले-राजनीतिक बहसबाजी सही नहीं
चर्चा के बाद सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष एकमत था, लेकिन राजनीतिक बहसबाजी सही नहीं। यदि सब कुछ कांग्रेस ने किया तो पाकिस्तान भी कांग्रेस ने ही बनाया, यह भी स्वीकार करो। डॉ. अंबेडकर को 45 साल बाद भारत रत्न देने की बात आई तो पूर्व पीएम अटल को आई। बिल में चर्चा के लिए सत्ता पक्ष को मना नहीं है। इसका श्रेय कोई नहीं ले सकता, क्योंकि जनता सब कुछ जानती है। जितनी गंभीरता से यहां चर्चा हुई उतनी गंभीरता अपने अपने क्षेत्र में भी दिखाएं तो बेहतर होगा। अब जातिप्रथा के बंधनों से मुक्त होने की जरूरत है। कानून व योजनाओं से ही नहीं बल्कि अपने जीवन में अपना कर जातिप्रथा को खत्म किया जा सकता है। हिमाचल में अनुसूचित जाति 25 फीसदी है। जिनके लिए 11 फीसदी से बढ़ाकर बजट 25 फीसदी किया।
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सीएम ने कहा कि विकास के साथ छुआछूत की संकीर्ण मानसिकता को बदलने की जरूरत है। आज़ादी के 70 साल बाद आरक्षण की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसी परिस्थितियों का निर्माण नहीं हो पाया। मनु ने कही जातिवाद को लेकर नहीं कहा। आरएसएस का समरसता ही सबसे बड़ा एजेंडा था व है। 68 विधायक तय करें कि छुआछूत को लेकर लोगों को जागरूक करें। राज्यपाल के अविभाषण पर विपक्ष के सवाल पर सीएम जय राम ठाकुर ने कहा कि बजट सत्र में विपक्ष राज्यपाल के अभिभाषण पर जितना चाहे चर्चा कर सकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल के अविभाषण का प्रावधान है। इसी के साथ बिल पास कर दिया गया और सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। बीजेपी विधायक बलवीर सिंह, कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर, धनी राम शांडिल, नंद लाल, सुखविंदर सिंह व आशा कुमारी ने भी बिल का समर्थन किया।