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18000 करोड़ की कंपनी का मालिक चलाता है साइकिल, यहां जानिए इस भारतीय की कामयाबी की कहानी
सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री (Software Industry) के बेताज बादशाह श्रीधर वैंबू की कहानी फिल्मी भले ही प्रतीत होती है। मगर भारत की माटी का असल सबूत है वह! श्रीधर 18000 करोड़ की संपत्ति का मालिक है, मगर उसका मन भारत के गांव की मिट्टी की ओर भागता है। जोहो (ZOHO) के संस्थापक श्रीधर वेम्बू की कहानी जिन्हे हाल ही में यूनियन मिनिस्ट्री द्वारा पदम श्री से सम्मानित किया गया। वेम्बू 59जी सबसे अमीर भारतीय हैए उनकी जोहो में 88फीसदी भगीदारी है।
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श्रीधर वेम्बू की सम्पूर्ण जानकारी
जन्म 1967 तेनकाशी, चिदंबरमपुरम. तंजौर, तमिलनाडु
व्यवसाय जोहो कॉरपोरेशनए फाउंडर सीईओ
संपत्ति 250000 बिलियन अमेरिकी डॉलर
शिक्षा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मद्रास)
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी न्यू जर्सी
शौक गरीब बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन और उनके साथ क्रिकेट खेलना
पत्नी प्रमिला श्रीनिवासन
भाई राधा वैंबू, कुमार वेम्बू
सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़े हैं श्रीधर
आपको यह जानकर हैरत होगी कि श्रीधर (Shree) ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में प्राप्त की। मद्रास आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में पीएचडी की। पॉलिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स में उनकी गहरी दिलचस्पी है । उन्होंने जापान (Japan), सिंगापुर और ताइवान के बाजार की सफलता के बारे में अध्ययन भी किया।
I have never had as much fun with a vehicle as with my e-auto! Here is me giving a ride enjoying appropriate music (in Tamil). pic.twitter.com/LZ7JnlzTxe
— Sridhar Vembu (@svembu) November 18, 2020
छोटे से अपार्टमेंट में शुरू की अपनी कंपनी
बाद में उन्होंने सैनडिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी (Job) की ।दो साल बाद जॉब छोड़ कर भारत आए। 1996 में अमेरिका के एक छोटे से अपार्टमेंट में टोनी थॉमस के साथ एक सॉफ्टवेयर कंपनी एड्वेंट के नाम से शुरू की । बाद मेंए किन्ही कारणों से इस कंपनी का नाम 2009 में जोहो कारपोरेशन कर दिया गया! किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि सॉफ्टवेयर डिवेलपर का व्यवसाय वैंबू को इस कदर रास आ जाएगा। उन्होंने आश्चर्यजनक तेजी से कामयाबी पाई और उनकी कुल संपत्ति वर्तमान में 18000 करोड़ रुपए हैं। जोहो कॉरपोरेशन अमेरिका के अलावा मेक्सिको और जापान में भी कार्य करती है। भारत के 76 में सबसे अमीर आदमी श्रीधर वैंबू 8000 से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। कोरोना काल में पीएम की अपील पर उन्होंने पीएम केयर्स में 25 करोड़ रुपए दान भी दिए।
भारत की प्रतिभा पर जबरदस्त विश्वास
भारत सरकार के एक बड़े अधिकारी ने एक बार उनसे पूछा कि ट्रंप प्रशासन ने भारतीयों के अमेरिका में प्रवेश वाले वीजा एच वन बी पर बैन लगा रहा है। इसके बारे में आपका क्या कहना है। तब श्रीधर वैंबू बोले, अरे वाह! यह तो भारत की दृष्टि से बहुत अच्छा है। इससे प्रतिभाशाली भारतीय युवा भारत में ही अपने सॉफ्टवेयर ब्रांड और कंपनियां खड़े करने लगेंगे। आखिरकार इस पॉलिसी का भारत को बड़ा लाभ होगा।
अमेरिका से तमिलनाडु के छोटे से गांव ले गए अपनी कंपनी का हैड क्वार्टर
लोग उनकी कामयाबी से भौंचक्के थे। मगर चौंकने के लिए अभी बहुत कुछ बाकी था। 2019 में श्रीधर वैंबू ने कैलिफोर्निया (California) के वेग एरिया में अपनी कंपनी का ग्लोबल मुख्यालय चेन्नई से 650 किलोमीटर दूर तामिलनाडु के एक छोटे से गांव मकालपुर में स्थानांतरित करने का निर्णय लेकर सभी को अचंभित कर दिया।
साइकिल और ऑटो से आते-जाते हैं
गांव में आने के बाद श्रीधर वैंबू की जीवन शैली काफी कुछ बदल गई और वह सादगी की जीती जागती मिसाल बन गए। वैंबू के जमीन से जुड़े होने का बेहतरीन उदाहरण है कि वह साइकिल और आटो का ही उपयोग कहीं आने. जाने के लिए करते हैं।
बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया
कोरोना काल में लॉकडाउन (Lockdown) में उन्होंने तमिलनाडु के एक छोटे से गांव ट्रेन तेनकाशी में बच्चों को निरूशुल्क पढ़ाना प्रारंभ किया। शुरू में केवल तीन बच्चे उनके पास पढ़ने के लिए आते थे। बाद में पढ़ने आने वाले बच्चों की तादाद में जबरदस्त इजाफा हो गया। तब श्रीधर ने एक और फैसला लिया। एक ऐसा स्कूल खोलने का। जहां पर गरीब बच्चों को न केवल मुफ्त शिक्षा और पौष्टिक भोजन दिया जाएगा, बल्कि उनमें हुनर पैदा करने के प्रयास भी किए जाएंगे। वह शिक्षा का ऐसा मॉडल खड़ा करना चाहते हैं। जिसमें डिग्री और नंबरों का महत्व ना हो। उनका मकसद बच्चों को हुनरमंद बनाना है। श्रीधर वैंबू इसके लिए पेपर वर्क भी कर लिया गया है। श्रीधर वैंबू ने तमिलनाडु के दस छोटे गांव.कस्बों में अपनी कंपनी स्थापित की, ताकि वहां अपने गांव, अपनी मिट्टी छोड़कर पलायन न करें।
जोहो यूनिवर्सिटी में 90 फीसदी तमिलनाडु के युवा
अमेरिका में उनकी जोहो यूनिवर्सिटी में 90 फीसदी तमिलनाडु के युवा अध्ययन करते हैं। वहां वह बिना फीस स्किल डिवेलपमेंट की ट्रेनिंग देते हैं। 2004 में उन्होंने औपचारिक विश्वविद्यालय शिक्षा के विकल्प के रूप में ग्रामीण छात्रों को व्यावसायिक सॉफ्टवेयर विकास शिक्षा प्रदान करने के लिए ज़ोहो स्कूल की स्थापना की। जब पद्मश्री पुरस्कार के लिए श्रीधर वेम्बू का नाम घोषित हुआ तो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म जोहो के सीईओ को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने माना कि जीवन में उन्हें खूब रिवॉर्ड मिले हैं पद्मश्री जैसा पुरस्कार उन्हें मिलना चाहिए जो स्वार्थहीन होकर काम कर रहे हैं, जैसे सामाजिक कार्यकर्ता वगैरह।