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तलाक-ए-हसन पर SC की अहम टिप्पणी, कहा- पहली नजर में नहीं लगता गलत
Last Updated on August 16, 2022 by sintu kumar
तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पहली नजर में तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) गलत नहीं लगता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के पास भी तलाक का अधिकार है। महिलाएं खुला के जरिए तलाक ले सकती हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये बात किसी और तरह का एजेंडा बने। दरअसल, तलाक-ए-हसन में पति एक-एक महीने के बाद तीन बार मौखिक या लिखित रूप में तलाक बोलकर निकाह रद्द कर सकता है। बता दें कि तलाक-ए-हसन पीड़ित बेनजीर हिना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उनका कहना है कि मुस्लिम (Muslim) समुदाय में प्रचलित तलाक का ये तरीका संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन है। तलाक की इस प्रक्रिया में पति एकतरफा तलाक देता है। इसमें महिला की सहमति या असहमति का कोई मतलब नहीं रहता है। बेनजीर का कहना है कि इसके तहत सिर्फ पति को ही तलाक का अधिकार दिया जाता है।
जानकारी के अनुसार, जब बेनजीर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, उस वक्त उन्हें तलाक का पहला नोटिस मिला था। इसके बाद उन्होंने कई बार मामले में जल्द सुनवाई की मांग की थी, लेकिन उनका मामला सुनवाई पर नहीं लाया गया। इसके बाद बेनजीर को 23 अप्रैल और 23 मई को स्पीड पोस्ट के जरिए और मेल पर तलाक के तीन नोटिस (Notice) मिले थे।वहीं, आज इस मामले में सुनवाई ने दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि ये एक साथ तीन तलाक का मामला तो नहीं है। मुस्लिम समुदाय में महिलाओं को भी खुला के जरिए तलाक (Divorce) लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि अगर दो लोग साथ रहकर खुश नहीं हैं तो वे तलाक ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगस मामला मेहर की रकम का है तो कोर्ट इस रकम को बढ़ाने का आदेश दे सकता है। फिलहाल, कोर्ट ने याचिकाकर्ता बेनजीर हिना से मेहर का अधिक मुआवजा दिलवाने के बाद आपसी सहमति से तलाक लेने का जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।