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नाहन। लाखों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी लोगों तक सरकार की योजनाएं न पहुंचना बड़े सवाल खड़े कर रहा है। इसका नतीजा यह है कि जिला सिरमौर में बागवानी का दायरा लगातार घटता जा रहा है और जिला के बागवान अब बागवानी से रुख मोड़ने लगे हैं। इस बात का खुलासा सोमवार को नाहन में आयोजित प्रैस से मिलिए कार्यक्रम के दौरान हुआ।
उद्यान विभाग के अधिकारी जब अपने विभाग की उपलब्धियां गिना रहे थे तो उस समय जो आंकड़े मीडिया के सामने पेश किए गए वो विभाग की कार्य शैली पर सवाल खड़े करते हैं। ऐसे में सवाल यह भी है कि विभाग द्वारा सालाना प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर तो लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं पर इसके परिणाम उतने नजर नहीं आते।
वहीं, इस मामले में डीसी बीसी बडालिया ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए की ब्लॉक स्तर पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाए, साथ ही बागवानों के नुकसान का सही आंकलन कर उसकी रिपोर्ट समय पर सरकार को भेजी जाए। उद्यान विभाग के उपनिदेशक डा. आरएल कपिल ने बताया कि वर्ष 2013-14 में उद्यान मिशन योजना के अंतर्गत 379.59 लाख रुपए आबंटित हुए थे। इसमें से 379.59 लाख रुपए खर्च हुए, जिससे 1184 बागवान लाभान्वित किए। यह खर्चा स्ट्राबैरी, किवी, सेब, आडू, लीची, सब्जियों की खेती, मशरूम यूनिट बनवाने, मसालों की काश्त गेंदा की खेती, जल भंडारण टैंकों का निर्माण करने आदि पर व्यय किए गए।
उपनिदेशक ने बताया कि नेशनल मिशन आॅफ माइको-इरिगेशन के तहत वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक कुल आबंटित बजट 100.95 लाख रुपए में से 84.37 लाख रुपए की राशि व्यय की गई। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश उद्यान विकास योजना के तहत राजकीय फलोद्यानों में 54853 पौधे विदेशों से आयात किए गए। पौधें बागवानों को वितरित करने के लिए रोपित किए गए हैं।
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