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2015 के बिलासपुर टनल हादसे में क्या हुआ था? जानें मणिराम की आपबीती
मंडी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) की सिल्क्यारा टनल में बीते 12 दिन से फंसे 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकलने का मिशन (Rescue Mission) फिलहाल अपने अंतिम चरण में है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर (Bilaspur Himachal Pradesh) में 2015 को ठीक इसी तरह का हादसा पेश आया था, जबकि किरतपुर-मनाली फोरलेन के टीहरा टनल (Tihara Tunnel) में मलबा गिरने से तीन मजदूर फंस गए थे। 9 दिन तक चले इस रेस्क्यू मिशन में सुंदर नगर उपमंडल के बगी के रहने वाले हिरदा राम, सराज के मणि राम और सिरमौर निवासी सतीश तोमर को बचा लिया गया था।
कागज के गत्ते से हवा देकर सांस ली
इस घटना की आपबीती सुनाते हुए कून के मणिराम ने कहा कि टनल में फंसने के बाद हमारा अधिकतर समय अंधेरे में ही बीता था। 5 दिन बाद टनल के अंदर संपर्क संभव हो पाया। टनल के अंदर ऑक्सीजन की कमी (Lack Of Oxygen) के कारण सांस लेना इतना मुश्किल था कि कागज के गत्ते से हवा देकर ऑक्सीजन की कमी को पूरा करते थे। 5 दिन बाद जब संपर्क हुआ तो हमारा भी हौसला बढ़ा। एक समय ऐसा आया, जब टनल में पानी भरने लगा (Waterlogging) तो अंदर खड़ी मशीन पर चढ़कर अपनी जान बचाई। मणि राम ने बताया कि उस समय बिलासपुर की तत्कालीन जिला उपायुक्त मानसी सहाय ने उन्हें बाहर निकलने में सराहनीय कार्य किया था।
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दिवाली के दिन से फंसे हैं 41 मजदूर
दीपावली के दिन 12 नवंबर से उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंसे हुए हैं। इनमें मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के बंगोट गांव का 21 वर्षीय विशाल भी शामिल है। टनल में फंसे मजदूरों का वीडियो सामने आने से विशाल के परिवार ने भी राहत की सांस ली है।