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शिमला। हिमाचल में मंगलवार को दूसरे दिन भी राष्ट्रीय कृत बैंक कर्मचारियों की हड़ताल (Strike) जारी रही। प्रदेश भर में बैंक कर्मियों (Bank Employees) ने सड़क पर उतरकर निजीकरण करने का विरोध किया। इस दौरान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के बैनर तले नौ यूनियनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। हड़ताल से जहां बैंकों का कामकाज प्रभावित हुआ वहीं कई क्षेत्रों में एटीएम खाली होने से लोगों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। वहीं बैंकों का निजीकरण होने से बैंकों में छंटनी होगी, जिससे हजारों लोगों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। राजधानी शिमला में दूसरे दिन भी बैंक कर्मचारियों ने जमकर प्रदर्शन किया।
सोलन। बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मीयों के राष्ट्व्यापी धरने के आज दूसरे दिन सोलन (Solan) में बैंक कर्मियों ने हड़ताल जारी रखी। इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी (Protest) की। बैंक कर्मचारियों ने कहा कि बैंकों के निजीकरण (Privatization) से देश बर्बाद हो जाएगा साथ ही निजीकरण के पश्चात लोगों का पैसा बैकों मे सुरक्षित नहीं रह पाएगा। बैंक कर्मियों ने कहा कि बैंक अर्थव्यवस्था की रीड हैए लेकिन सरकार इस रीड को समाप्त कर कुछ पुंजीपतियों को सहयोग करना चाहती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 70 से 80 करोड़ रुपए के चैकों का कार्य प्रभावित हुआ है। बैंक यूनियन के सचिव नंदलाल परिहार ने बताया कि बैंको के निजीकरण से बैंको कर्मियों को ही नुकसान नहीं होगाए बल्कि इससे जनता की कमाई भी बैको में सुरक्षित नहीं रहेगी।
कुल्लू। सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारियों ने ढालपुर प्रदर्शनी मैदान में यूनाईटिड फॉर्म ऑफ बैंकिंग यूनियन के बैनर तले दूसरे दिन भी हड़ताल कर केंद्र सरकार व वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान 9 सरकारी बैंकों के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार से बैंकों के निजीकरण बंद करने की मांग की। सरकारी कर्मचारियों की माने तो बैंकों के निजीकरण से छोटे किसान, बागवानों, दुकानदारों व कारोबारियों को भारी नुकसान होगा। निजी बैंको (Private Bank) में छोटे तबके की जनता को खाते खुलवाने के लिए भी परेशानी होगी, निजी बैंको में 5 हजार से नीचे रकम के बिना खाते नहीं खोले जाते हैं जबकि सरकारी बैंकों में व्यक्ति के जीरो बैलेंस पर खाते खोले जाते हैं। इसके अलावा सरकार की ओर से जारी कई तरह की सुविधाएं भी लोगों को सरकारी बैंकों में ही मिलती हैं।
सिरमौर। (Sirmaur) जिला के नाहन में भी बैंक यूनियन ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। यूनियन के नेताओं का कहना है कि सरकार लगातार अनुचित नीतियां लागू कर रही हैं। निजीकरण से आम आदमी की परेशानी बढ़ेगी। बैंक यूनियनों के संयोजक गोपाल शर्मा ने कहा कि केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है। निजीकरण के बाद आम लोगों के लिए बैंकों से ऋण लेना मुश्किल हो जाएगा।
गगरेट। हिमाचल के ऊना (Una) जिला में भी बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे, जिससे लोगों को खास कर व्यापारी वर्ग को काफी परेशानी हुई। कर्मचारियों ने भारतीय स्टेट बैंक शाखा गगरेट के प्रांगण में प्रदर्शन किया व रैली निकली। बैंक कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव अंजन केशव ने कहा देश के जिन कारपोरेट घरानों के पास बैंको के करोड़ों रुपये फंसे हैं, उन्हें ही बैंकों का मालिक बनाने की तैयारी की जा रही है। भारत सरकार की बैंकों के निजीकरण की नीति के खिलाफ कर्मचारी लगातार धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की निजीकरण की नीति का असर आम लोगों पर पड़ेगा।
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