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शिमला। छात्र अभिभावक मंच ने खलीनी के निकट झंझिड़ी में बस हादसे के खिलाफ डायरेक्टर हायर एजुकेशन ऑफिस के बाहर हल्ला बोल दिया। मंच के दर्जनों सदस्य कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए व जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। यह धरना लगभग एक घंटे चला। मंच के सदस्य स्कूली बच्चों की सुरक्षा की मांग कर रहे थे। इसके बाद गुस्साए सदस्य निदेशक कार्यालय में घुस गए और न्याय की मांग करने लगे। इस दौरान निदेशक, संयुक्त निदेशकों अन्य अधिकारियों से बहसबाजी भी हुई।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उच्चतर शिक्षा निदेशालय से मंच पिछले दो वर्ष से निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली के विषय को उठा रहा है व कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है। लेकिन, निजी स्कूलों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। स्कूली छात्रों की सुरक्षा को लेकर उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल 2018 को एक निर्णय दिया था, परन्तु वह आज तक लागू नहीं हुआ। इसके तहत निजी स्कूलों को अपनी बसें चलाने व बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे।
सीबीएसई की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी निजी स्कूल को तब तक मान्यता नहीं मिल सकती है, जब तक कि उनकी अपनी बसें न हों। इस निर्णय को लागू न करने से स्कूली छात्रों की सुरक्षा हमेशा दांव पर रहती है। नूरपुर, बंजार व शिमला का खलीनी हादसे इस बात के स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि स्कूली छात्रों की सुरक्षा उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बावजूद प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। लोगों के गुस्से को भांपते ही निदेशक उच्चतर शिक्षा ने आनन-फानन में सभी अधिकारी अपने कार्यालय में बुला लिए व अभिभावकों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों का दो दिन के अंदर समाधान होगा।
उन्होंने आश्वासन दिया कि बच्चों की सेफ्टी को सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दो दिन के भीतर सभी निजी स्कूलों को अपनी निजी बसें चलाने का लिखित आदेश दिया जाएगा। पीटीए के गठन के लिए शिक्षा निदेशालय प्रधानाचार्यों व हेडमास्टरों को आदेश जारी करेगा। मंच ने चेताया है कि उक्त अधिसूचना अगर दो दिन के भीतर जारी न हुई तो मंच के सदस्य शिक्षा निदेशक कार्यालय के अंदर ही अनिश्चितकालीन के लिए धरने पर बैठ जाएंगे।
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