स्टडी : बॉस का कड़क मिजाज गिराता है स्टाफ की परफॉर्मेंस
Update: Friday, March 1, 2019 @ 4:41 PM
आपने कई
ऑफिस में देखा होगा कुछ बॉस काफी गुस्सैल होते हैं और बात-बात पर कर्मचारियों को अपमानित करते रहते हैं। हो सकता है आपका
बॉस (Boss) भी ऐसा हो या आप खुद इस तरह के बॉस हों। समाज में एक आम सोच है कि कड़क बॉस विनम्र बॉस की तुलना में ज्यादा जल्दी अपने लक्ष्य पा लेते हैं। इस सोच को कुछ कामयाब बॉस की कहानियां और मजबूत कर देती हैं।
इंडियाना यूनिवर्सिटी के बास्केट बॉल कोच बॉब नाइट (Bob knight) और ऐपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) भी इसी श्रेणी में आते हैं। सब जानते हैं कि ये लोग अपनी सख्ती और बदमिजाजी के लिए कुख्यात थे साथ ही जबर्दस्त कामयाब भी। लेकिन रटगर्स विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक
स्टडी (Study) के अनुसार यह पूरी तरह सच नहीं है। संगठनों, उत्पादकता और लीडरशिप स्टाइल को स्टडी करने वाले शोधकर्ताओं ने उनकी कामयाबी का श्रेय उनकी सख्ती को नहीं उनकी असाधारण क्षमता को दिया है। इन शोधकर्ताओं को अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो इस बात का समर्थन करे कि सख्त बॉस होने की वजह से ज्यादा बेहतर नतीजे मिलते हैं।
रटगर्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रेबेका ग्रीनबाउम कहती हैं, ‘हमें अच्छा लगेगा यह जानकर कि अपमानजनक लीडरशिप (Abusive leadership) का कोई सकारात्मक पक्ष भी है। अभी तक इस पर बहुत शोध हुआ है, लेकिन हमें ऐसा कुछ नहीं मिला।’ ग्रीनबाउम के मुताबिक, ऐसी लीडरशिप में उत्पादकता कुछ समय के लिए तो बढ़ सकती है, लेकिन समय के साथ-साथ स्टाफ की परफॉर्मेंस गिरती जाएगी और लोग टीम छोड़ने लगेंगे।
सवाल ये उठता है कि जब इस तरह की लीडरशिप के इतने कम फायदे हैं तो फिर संगठनों में ऐसा क्यों देखने में आता है कि गुस्सैल और बदमिजाज मैनेजर ऊंचे उठते जाते हैं। इसके जवाब में सामाजिक मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि प्रयोगों में देखा गया है कि जो लीडर दुविधा की घड़ी में तेजी से फैसले लेते हैं उन्हें लोग अच्छा लीडर मान लेते हैं। भले ही उनके फैसले सोचसमझ कर लिए गए फैसलों के मुकाबले कम सही हों। इसके उलट उन्हें अच्छा डिसीजन मेकर समझा जाता है। अगर कभी वे गलत भी साबित हुए तो लोग उन्हें कुछ समय संदेह का लाभ भी देते हैं।
इसका असर यह होता है कि जैसे-जैसे ये लोग संस्थान में ऊंचे उठते जाते हैं उन्हें लगता है कि उनमें जन्मजात नेतृत्व के गुण हैं। यह भाव आते ही उनका अपने नीचे काम करने वालों के प्रति नजरिया बदल जाता है। रेबेका कहती हैं कि हालांकि ऐसा वे सोचसमझ कर नहीं करते पर जब वे खुद पर नियंत्रण खो बैठते हैं तो ऐसा ही होता है।