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सुक्खू सरकार निपटाएगी 50 हजार लंबित मामले, बनाई योजना; 25 करोड़ एकत्र करेगी राजस्व
शिमला। हिमाचल सरकार (Himachal Govt) ने व्यापारियों को राहत देने के लिए नई पहल की है। सुक्खू सरकार (Sukhu Govt) ने लघु और सीमांत व्यापारियों को राहत देते हुए न्यायालय में विचाराधीन या कर निर्धारण के तहत पूर्व जीएसटी काल के लगभग 50 हजार मामलों (50,000 Pending Cases) को निपटाने के लिए एक नई योजना हिमाचल प्रदेश सद्भावना विरासत मामले समाधान योजनाए 2023 (Himachal Pradesh Sadbhavna Virasat Mamle Samadhan Yojana) लागू करने की घोषणा की है। इस योजना से व्यापारियों और राज्य कर एवं आबकारी विभाग (State Tax and Excise Department) दोनों को लाभ होने की उम्मीद हैए क्योंकि इससे सभी लंबित पुराने मामलों को निपटाने में मदद मिलेगी और विचाराधीन मामलों की बकाया वसूली में मदद प्राप्त होगी। इस योजना के कार्यान्वयन से हितधारकों के साथ.साथ विभाग को जीएसटी अनुपालन में ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलेगी।
यह योजना शुरू में तीन माह के लिए होगी वैध
सीएम सुक्खू (CM Sukhu) ने कहा कि यह योजना आरंभ में 3 महीने की अवधि के लिए वैध होगी और पूर्व-जीएसटी करदाताओं के लिए कर देनदारी और विवादों को हल करने में मददगार साबित होगी। योजना के तहत करदाता बकाया कर राशि का भुगतान करने में सक्षम होंगे और कानून के तहत किसी भी अन्य परिणाम से मुक्त होंगे, जबकि ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट प्राप्त होगी। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत न्यायालय (Court) में विचाराधीन लंबित पुराने मामलों और बकाया के निपटान में मदद मिलेगी। इससे उन मामलों का भी समाधान करने में सहायता मिलेगी जिनका मूल्यांकन किया जाना बाकी है। डीलर को लागू निपटान शुल्क के साथ देय कर का भुगतान करना आवश्यक है, लेकिन यह कर घटक की किसी भी छूट की पेशकश नहीं करता है।
सरकार ने लगभग 20-25 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र करने का रखा लक्ष्य
आयुक्त, राज्य कर एवं आबकारी यूनुस ने बताया कि हितधारक संबंधित विभाग के सर्कल कार्यालय में जाकर योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। डीलरों को सम्मिलित अधिनियमन के प्रासंगिक शीर्ष में लागू निपटान शुल्क ऑनलाइन जमा (Online Deposit Settlement Fee) करना होगा। उन्होंने कहा कि लगभग 50,000 लंबित मामलों का निपटारा करके लगभग 20-25 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभाग ने इससे पहले भी वर्ष 2019 में एक लेगेसी योजना शुरू की थी, जिसके माध्यम से 14,814 मामलों का निस्तारण कर 393 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया गया था। दूसरी योजना के तहत कुल 20,642 मामलों का निपटारा किया गया और 19.16 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया गया।