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आपदा प्रभावितों के लिए विशेष राहत पैकेज लाएगी सरकार, सीएम सुक्खू की घोषणा
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में शुरुआती हंगामे और गतिरोध के बीच सोमवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के आपदा प्रभावितों के लिए विशेष राहत पैकेज (Special Relief Package For Himachal Disaster Affected Families) लाने का ऐलान किया। सुक्खू ने कहा कि वर्तमान आपदा के कारण राज्य के संसाधन गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। विशेष राहत पैकेज को लेकर पीएम और गृह मंत्री से भी मुलाकात हुई है। प्रदेश को एक राहत पैकेज की तुरंत आवश्यकता है। इससे पूर्व कभी ऐसी आपदा नहीं हुई। उन्होंने हिमाचल की इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित (Declare National Calamity) करने की मांग पर जोर देते हुए कहा कि यह आपदा भुज भूकंप, केदारनाथ आपदा और जोशीमठ भूस्खलन से भी बड़ी है। इन्हीं की तर्ज पर हिमाचल की इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए।
विपक्ष की नारेबाजी और बहिर्गमन
इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष की ओर से सदस्य राकेश जम्वाल, इंद्र सिंह, बलवीर सिंह वर्मा, विपिन सिंह परमार ने नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव (Notice For Adjournment Motion) दिया। इस पर स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि इस विषय पर नियम 102 में भी चर्चा के लिए नोटिस आया है। ऐसे में नियम 67 के बजाय इस नियम में पहले से ही चर्चा के लिए नोटिस को मंजूर किया जा चुका है। इस पर सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों के बीच नारेबाजी (Sloganeering) और गतिरोध पैदा हो गया और विपक्ष से कुछ समय के लिए सदन से बहिर्गमन (Walkout) कर दिया।
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का संकल्प पारित
सदन में आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का सरकारी संकल्प प्रस्तुत किया। सीएम ने विपक्षी विधायकों से भी संकल्प का समर्थन करने का आग्रह किया। विपक्ष के बाहर जाने के बाद सीएम सुक्खू ने कहा कि आपदा के वक्त बीजेपी के लोग कह रहे थे कि मानसून सत्र (Monsoon Session) बुलाया जाए। आज ये सत्र में गंभीर नहीं है। सरकार ने नियम 102 के तहत प्रस्ताव दिया। इन लोगों के प्रस्ताव को भी अटैच किया गया है। इन्हें चर्चा में भाग लेना चाहिए। मगर ये गंभीर नहीं हैं।
75 हजार का कर्ज छोड़ गई जयराम सरकार
सुक्खू ने बताया कि श्वेत पत्र को लेकर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में बनाई गई सब कमेटी की रिपोर्ट उन्हें मिल गई है। सरकार उस रिपोर्ट का अध्ययन कर बताएगी कि पिछली जयराम सरकार के कार्यकाल में किस तरह का और कितना वित्तीय कुप्रबंधन हुआ। जयराम सरकार प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज और 10 हजार करोड़ रुपए की देनदारी छोड़ गई है।