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शिमला/नाहन। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक सुखविंद्र सिंह सूक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (Himachal Pradesh Administrative Tribunal) को भंग करने पर सवाल उठाए हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिला ईकाई सिरमौर (Sirmaur) ने फैसले का स्वागत किया है।
सूक्खू ने कहा कि इससे कर्मचारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा। तबादला माफिया को और फलने-फूलने में मदद मिलेगी। ट्रिब्यूनल न होने से कर्मचारी (Employee) न्यायालय के चक्कर काट-काटकर परेशान होंगे।
पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल गठित कर कर्मचारियों को तबादला (Transfer) होने पर अपनी बात रखने का एक माध्यम प्रदान किया था, जहां उसे आसानी से राहत मिल जाती थी। हाइकोर्ट (High Court) में पहले से काम का बोझ है। तबादले संबंधी केस जाने से मामलों की संख्या और बढ़ेगी। कर्मचारियों को तत्काल राहत नहीं मिल पाएगी। जेब भी ज्यादा ढीली करनी होगी। सूक्खू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है।
उधर, सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग (Dissolve) करने के फैसले का स्वागत करते हुए अराजपत्रित कर्मचारियों ने कर्मचारियों के पक्ष में लिया गया एक बड़ा फैसला करार दिया है।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिला ईकाई सिरमौर (Sirmaur) के प्रधान अजय जोशी, वरिष्ठ उप प्रधान राम भगत, महासचिव गीतेश पराशर, मुख्य सलाहकार प्रेम पाल ठाकुर, भारत भूषण, जिला सिरमौर की समस्त ईकाईयों के प्रधान राजीव वालिया, प्रेम पाल, राजेंद्र, आत्माराम शर्मा, लायकराम, जगदीश शर्मा, धर्म सिंह चौधरी, उमेश शर्मा, हरीश पुंडीर, संजीव, अतुल शर्मा, दिनेश, प्रदीप शर्मा, जगतराम, राजेश चौहान, कला, रंजना माटा, अनीता शर्मा, प्रितिका परमार, पूजा, गंगवीर, कपिल शर्मा, विजय पाल, कृष्ण रावत, शान मोहम्मद, तेजवीर सिंह व जागर सिंह ने कहा कि अराजपत्रित कर्मचारी पिछले काफी अरसे से प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने की मांग कर रहे थे।
संघ के तदर्थ कमेटी (Committee) के राज्य अध्यक्ष विनोद कुमार द्वारा कर्मचारियों का पक्ष रखते हुए सीएम को ज्ञापन सौंप कर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में ट्रिब्यूनल भंग होने के पश्चात, हाईकोर्ट द्वारा वेतन लाभ, पदोन्नति तथा वरिष्ठता से संबंधित अनेकों मसलों में कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय दिया। वर्ष 2015 में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की पुनः बहाली के बाद कर्मचारियों के मसलों पर समय से फैसले नहीं हो पा रहे थे। अब कर्मचारी अपने मसलों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकेंगे तथा कम समय में न्याय पा सकेंगे।
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