-
Advertisement
सुखविंदर सिंह सुक्खू : कांग्रेस के लिए भविष्य के रोल मॉडल ,सीएम के रूप में पेश कर रहे नजीर
पंजाब, उत्तराखंड और गुजरात में करारी हार के बाद हिमाचल प्रदेश की जीत ने कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया है। छत्तीसगढ़, राजस्थान के बाद हिमाचल तीसरा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार है। आम परिवार के बेटे सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दाव खेला है। व्यवस्था परिवर्तन में जुटे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस पार्टी के लिए रोल मॉडल बनते जा रहे हैं। कांग्रेस को सुक्खू से काफी उम्मीदें हैं, यही कारण है कि चालक के बेटे को सीएम बनाकर बीजेपी को परिवारवाद के मुद्दे पर चारों खाने चित कर दिया है। सत्ता में सत्ता सुख नहीं, व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू 11 दिसंबर 2022 को शपथ लेने के बाद से इसी ध्येय के साथ काम कर रहे हैं।
व्यवस्था परिवर्तन के लिए 18-18 घंटे काम करने में डटे
प्रदेश उन्हें आर्थिक बदहाली की स्थिति में मिला है, जिसे उन्होंने चार साल में वित्तीय रूप से खुशहाल बनाने का लक्ष्य रखा है। ओल्ड पेंशन बहाली, अदानी सीमेंट कंपनियों के विवाद का निपटारा, सुख-आश्रय कोष की स्थापना ने सुक्खू को नायक से जननायक बना दिया है। संघर्ष की आग में तपकर कुंदन बने सुक्खू ने जीवन में संघर्ष देखा है, इसलिए लोगों की परेशानियों को अच्छी तरह से समझते हैं। अदानी ने सरकार बदलते ही एसीसी बरमाणा और दाड़लाघाट के अंबुजा सीमेंट प्लांट बंद कर दिए, लेकिन सुक्खू सरकार ट्रक ऑपरेटर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही। युवाओं का रोजगार बरकरार रखने और ट्रक ऑपरेटर्स को वर्तमान परिपेक्ष्य के हिसाब से मालभाड़ा दिलाने के लिए सरकार ने अदानी समूह को बैकफुट पर ला ही दिया। सीएम सुखविंदर सुक्खू इस मामले में एक बार नायक साबित हुए। कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने के लिए सरकार अनेक कदम उठा रही है। विश्व स्तरीय चिडि़याघर खोलने के साथ ही गोल्फ़ कोर्स बनाया जाएगा। पोंग डैम पर्यटन का बडा केंद्र बनेगा।
ऐसे बने अनाथों के नाथ
सुख-आश्रय योजना के तहत उन्होंने लगभग 6000 अनाथ बच्चों को गोद लिया है, अब सरकार ही उनकी माता-पिता है। 101 करोड़ रुपये से स्थापित सुखाश्रय कोष में जहां मुख्यमंत्री ने अपना पूरा वेतन और सभी कांग्रेस विधायकों ने एक-एक लाख रुपये का अंशदान दिया है, वहीं आम जनता भी साढ़े तीन करोड रुपये दे चुकी है। सरकार अनाथ बच्चों का आईआईएम, एम्स, ट्रिपल आईटी, पॉलिटेक्निक कॉलेजों, आईटीआई में दाखिला कराएगी। उन्हें जेब खर्च के लिए चार हजार रुपये मासिक दिए जाएंगे। साल में दो बार पिकनिक कराई जाएगी। वृद्धाश्रम में रहने वालों, एक महिलाओं, विशेष व जरूरतमंद बच्चों को सालाना 10 हजार रुपये वस्त्र अनुदान दिया जाएगा। लोहड़ी, मकर संक्रांति, होली, दिवाली इत्यादि त्योहार मनाने के लिए सरकार इन्हें प्रति व्यक्ति 500 रुपये फेस्टिव अलाउंस देगी। अनाथ बच्चों को स्टार्ट अप के लिए दो लाख रुपये दिए जाएंगे। अनाथ आश्रम में रहने वाली बेटियों को घर बनाने के लिए 3 बिस्वा जमीन दी जाएगी, निर्माण खर्च भी सरकार उठाएगी। बेटियां अब 18 वर्ष के बजाय 27 वर्ष की आयु तक अनाथ आश्रम में रह सकेंगी।
विरासत में मिला 75 हजार करोड़ का कर्ज
बदहाली से गुजर रहे हिमाचल प्रदेश पर पूर्व बीजेपी सरकार 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज छोड़कर गई है। नई कांग्रेस सरकार को यह कर्ज विरासत में मिला है। कर्मचारियों के एरियर की चार हजार 430 करोड़ रुपये, पेंशनर्स की 5 हजार 226 करोड़ रुपये, पेंशनर्स व कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की 1000 करोड़ रुपये की देनदारी अलग से है। पूर्व बीजेपी सरकार ने कार्यकाल के अंतिम नौ महीनों में बजट का प्रावधान किए बिना 900 संस्थान खोले व अपग्रेड किए, जिससे सरकार पर 5 हजार करोड़ का आर्थिक बोझ पड़ा। सरकार वित्तीय संसाधन जुटाकर सारी देनदारियां चुकाएगी। गैर जरूरी संस्थान बंद किए गए हैं, जबकि जरूरी संस्थान व्यवहार्यता देखते हुए बजट के प्रावधान के साथ खोले जा रहे हैं। सुक्खू सरकार आने वाले दस साल में प्रदेश को देश का आर्थिक रूप से सबसे खुशहाल राज्य बनाने की दिशा में काम कर रही है।
पुरानी पेंशन : राजनीतिक फैसला नहीं, सामाजिक सुरक्षा
सुख की सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर लगभग 1.36 लाख कर्मचारियों को लाभ दिया है। सरकार ने यह फैसला राजनीति के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने को लिया है। सरकार कर्मचारियों को डीए और पेंशनर्स को उनके लाभ भी देगी। एनपीएस के 8 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास फंसे हैं, बावजूद इसके सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ओपीएस लागू करने का साहस दिखाया है। उन्होंने ओपीएस के लिए बजट का प्रावधान भी कर लिया है, नए वित्तीय वर्ष से यह कर्मचारियों को मिलना शुरू हो जाएगी।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
हिमाचल में बीते पांच पेपर लीक सरकार चली। पुलिस भर्ती सहित अनेक पेपर लीक हुए। सुक्खू सरकार ने सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई और परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक मामले में महिला कर्मचारी के घूस लेते पकड़े जाने पर हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग का कामकाज निलंबित कर दिया। एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद अब आयोग को भंग कर दिया है। सारी पाक साफ भर्तियों को अब हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग शिमला सिरे चढ़ाएगा। योग्यता के आधार पर निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरी में चयन होगा। व्यवस्था परिवर्तन के लिए सरकारी टेंडर अवार्ड करने की समय सीमा सरकार ने 60 दिन से कम कर 20 दिन कर दी है, इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी।
युवाओं को रोजगार के लिए तकनीकी कोर्स
व्यवस्था परिवर्तन के मद्देनजर शिक्षा नीति में सरकार बड़े बदलाव करने जा रही है। चरणबद्ध तरीके से हर विधानसभा क्षेत्र में डे बोर्डिंग स्कूल खोले जाएंगे। युवाओं को रोजगार के लिए इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक कॉलेजों व आईटीआई में रोबोटिक्स, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड कम्प्यूटिंग, डाटा साइंस, ऑफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग कोर्स शुरू किए जाएंगे। सरकार नई रोजगार नीति भी लाने जा रही है। पर्यटन को बढ़ावा देकर भी युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। युवा वर्ग की भागीदारी बढ़ाने के लिए पर्यटन परियोजनाएं स्टार्ट अप से जोड़ी जाएंगी। निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों, बागवानों व पशुपालकों की आय बढ़ाने का भी सरकार प्रयास कर रही है।
2025 तक पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 2025 तक हिमाचल प्रदेश को देश का पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जल विद्युत, हाइड्रोजन और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ा जाएगा। अगले वित्त वर्ष में 500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहन चरणबद्ध तरीके से बढ़ाये जाएंगे। नई इलेक्ट्रिक बसें भी खरीदने का निर्णय लिया गया है। हिमाचल का परिवहन विभाग देश का पहला इलेक्ट्रिक वाहन संचालित विभाग बन चुका है।