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हममें से सभी लोग सुबह-सवेरे सूर्य को जल चढ़ाते हैं। जाहिर है कि सूर्य को जल चढ़ाने से सीधे हमें लाभ प्राप्त होते हैं। सुबह-सुबह के समय जल्दी उठने से ताजी हवा और सूर्य की किरणों से हमारे स्वास्थ्य को लाभ होता है, यह सभी जानते हैं। इसके अलावा सूर्य को जल चढ़ाते समय पानी के बीच से सूर्य को देखना चाहिए, ऐसे में सूर्य की किरणों से हमारी आंखों की ज्योति भी बढ़ती है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी के कई गुण भी मौजूद होते हैं। इसलिए जो भी व्यक्ति उगते सूर्य को जल चढ़ाता है वह तेजस्वी होता है, उसकी त्वचा में आकर्षक चमक आ जाती है।
सूर्य को देवता माना जाता है, इनकी पूजा के लिए कई विधियां भी बताई गई है। सूर्य देव को प्रतिदिन जल अर्पित करने पर हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही आंखों की रोशनी बढ़ती है और त्वचा में तेज पैदा होता है। समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, यश मिलता है। आंखों या त्वचा से संबंधित रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य से शुभ फल प्राप्त करने के लिए रविवार के दिन सूर्य के निमित्त विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए, साथ ही इस दिन सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करने की परंपरा है।
सूर्य से संबंधित वस्तुएं जैसे पीले वस्त्र या अन्य पीले रंग की खाद्य सामग्री का दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को किया जाता है। सूर्य को चढ़ाने के लिए तांबे के लौटे का उपयोग करना चाहिए। लौटे में शुद्ध जल भरें और उसमें चावल और कुमकुम, पुष्प, गुड़ आदि पूजन सामग्री भी डाल लेना चाहिए। इसके बाद लौटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ रवये नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ भानवे नम: आदि का जप करते रहना चाहिए।
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