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नई दिल्ली। अब BCCI में एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू होगा। बोर्ड में मंत्री और अधिकारी शामिल नहीं हो पाएंगे। इसके अलावा अब BCCI में एक राज्य से एक ही वोट होगा। साथ ही बीसीसीआई में अधिकारियों की उम्र सीमा 70 साल होगी। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोढ़ा कमेटी की अधिकतर सिफारिशों को हरी झंडी दे दी है। गौरतलब है कि भारतीय क्रिकेट के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। सुप्रीम कोर्ट ने BCCI में सुधार को लेकर जस्टिस लोढ़ा कमेटी की ज्यादातर सिफारिशें मान लिया है और कहा कि कमेटी के सुझाव से बोर्ड में बदलाव आएगा। हम उम्मीद करते हैं कि इन आदेशों से बदलाव आएगा। BCCI को यह बदलाव स्वीकार करना चाहिए। वहीं, BCCI ने कहा कि वह आदेश का सम्मान करते हैं और कोई दिक्कत होगी तो कोर्ट आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई लोढ़ा पैनल की सिफारिशें 6 महीने में लागू करे। साथ ही अब बोर्ड में मंत्री और अधिकारी शामिल नहीं हो पाएंगे, वहीं राजनेताओं पर कोई पाबंदी नहीं है।
एक राज्य का एक ही होगा मत
कोर्ट ने यह भी कहा कि बीसीसीआई में अब एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू होगा। BCCI में अधिकारियों की उम्र सीमा 70 साल होगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में वोटिंग रोटेशनी होगी, क्योंकि गुजरात और महाराष्ट्र में 3-3 क्रिकेट संघ हैं । बाकि सभी राज्यों में एकएक क्रिकेट संघ है। वहीं खिलाड़ियों का अपना संघ होगा। ओवर के बीच में विज्ञापन पर बीसीसीआई ब्रॉडकास्टर से बात कर हल निकालेगा।
सट्टेबाजी वैद्य हो, संसद करे तय
BCCI में आरटीआई का दायरा हो और क्या सट्टेबाजी वैद्य हो यह संसद तय करे। समिति का सुझाव है कि BCCI को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। समिति के मुताबिक बीसीसीआई के क्रिकेट से जुड़े मामलों का निपटारा पूर्व खिलाड़ियों को ही करना चाहिए, जबकि गैर क्रिकेटीय मसलों पर फैसले छह सहायक प्रबंधकों तथा समितियों की मदद से सीईओ करेंगे।
ये थीं लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें
कमेटी की पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता। लोढ़ा समिति का सबसे अहम सुझाव है कि एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा। आईपीएल और बीसीसीआई के लिए अलग-अलग गवर्निंग काउंसिल हों। इसके अलावा समिति ने आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को समिति अधिकार दिए जाने का भी सुझाव दिया है। समिति ने बीसीसीआई पदाधिकारियों के चयन के लिए मानकों का भी सुझाव दिया है। उनका कहना है कि उन्हें मंत्री या सरकारी अधिकारी नहीं होना चाहिए और वे नौ साल अथवा तीन कार्यकाल तक बीसीसीआई के किसी भी पद पर न रहे हों। लोढ़ा कमेटी का यह भी सुझाव है कि बीसीसीआई के किसी भी पदाधिकारी को लगातार दो से ज्यादा कार्यकाल नहीं दिए जाने चाहिए। लोढ़ा समिति की रिपोर्ट में खिलाड़ियों के एसोसिएशन के गठन तथा स्थापना का भी प्रस्ताव है।
जनवरी 2015 में एससी ने गठित थी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधार से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। इस कमेटी को बीसीसीआई की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए उसमें सुधार और पारदर्शिता के लिए आवश्यक सुझाव देने थे। 4 जनवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय जस्टिस लोढ़ा पैनल की सिफारिशें सार्वजनिक कीं। सिफारिशें मुख्य रूप से बेहतर प्रशासन के लिए संरचनात्मक बदलाव पर केंद्रित थीं। इसमें पदाधिकारियों की आयु सीमा और कार्यकाल तय करने, एक राज्य एक वोट, जवाबदेही और बीसीसीआई के फंड के उचित बंटवारे आदि से संबंधित सिफारिशें शामिल थीं। 4 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को जस्टिस लोढ़ा पैनल की रिपोर्ट को लागू करने के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 3 मार्च की डेडलाइन तय कर दी। 2 मार्च को बीसीसीआई ने अपना शपथपत्र दिया। हालांकि इस बीच बोर्ड ने लोढ़ा पैनल की कुछ सिफारिशें लागू कर भी दीं। बोर्ड ने पहली बार सीईओ और लोकपाल की नियुक्ति की और हितों के टकराव के मामले सुलझाए। 3 मई को सर्वोच्च कोर्ट ने कहा था कि बीसीसीआई से संबद्ध एसोसिएशनों को लोढ़ा पैनल की और से सुझाए गए सुधारों को मानना ही होगा। इसके बाद 30 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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