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नई दिल्ली। केरल के 800 साल पुराने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला केस बड़ी बेंच को सौंप दिया है। फिलहाल सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी। पांच जजों की बेंच में से 3 जजों का मानना था कि इस मामले को सात जजों की बेंच को भेज दिया जाए, लेकिन जस्टिस नरीमन और जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे अलग विचार रखे। अंत में पांच जजों की बेंच ने 3:2 के फैसले से इसे 7 जजों की बेंच को भेज दिया।
अब इस मामले को 7 जजों की बेंच सुनेगी। फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल रहे। सबरीमाला मामले पर फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा। अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।
वहीं, सबरीमाला मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 16 नवंबर से यहां पर मंडलम मकर विलक्कू उत्सव शुरू हो रहा है, इस उत्सव को देखते हुए सुरक्षा पर लगातार नजर रखी जा रही है। मंदिर परिसर के आसपास 10 हजार से ज्यादा पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। बता दें कि कोर्ट ने 28 सितंबर, 2018 को 4:1 के बहुमत से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी। इसके बाद केरल (Kerala) के कई जिलों में फैसले के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
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