- Advertisement -
Supreme Court : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीन तलाक की ऐतिहासिक सुनवाई चौथे दिन भी जारी है। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मुस्लिमों में निकाह हलाला और बहुविवाह (पॉलीगैमी) प्रथा पर भी सुनवाई होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि हमारे पास वक्त कम है लिहाजा ट्रिपल तलाक पर ही सुनवाई होगी। बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे को पेंडिंग में रखा जाएगा। इस मामले पर सुनवाई बाद में होगी। बता दें कि चीफ जस्टिस जीएस खेहर की अगुआई में 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर सऊदी अरब, ईरान, इराक, लीबिया, मिस्र और सूडान जैसे देश तीन तलाक जैसे कानून को खत्म कर चुके हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते।
बता दें कि ट्रिपल तलाक को लेकर 11 मई से सुनवाई चल रही है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सिर्फ ये समीक्षा करेंगे कि तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक और निकाह हलाला इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग है या नहीं। कोर्ट इस मुद्दे को इस नजर से भी देखेगा कि क्या तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है या नहीं। पहले से तय समय के मुताबिक सुनवाई 19 मई तक जारी रहेगी। इस दौरान बेंच रोजाना इस मामले पर सुनवाई करेगी।
गौर हो कि बहस की शुरुआत एक याचिकाकर्ता शायरा बानो के वकील ने की थी। उनका कहना था कि तीन तलाक इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। ज्यादातर मुस्लिम देशों ने तीन तलाक को खत्म कर दिया है। इन देशों में तलाक के लिए न्यायिक आदेश जरूरी हैं। तलाक एकतरफा नहीं हो सकता। मुस्लिम महिला आंदोलन की तरफ से जकिया सोमन के वकील आनंद ग्रोवर ने बहस की थी। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसलों के हवाला दिया और कहा कि दोनों ही फैसलों में तीन तलाक को गैर इस्लामी बताया है। उन्होंने ये भी कहा कि तीन तलाक का प्रावधान दरअसल अंग्रेजों का बनाया हुआ कानून है जिसे इस्लाम धर्म में गुनाह माना गया है।
- Advertisement -