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#Corona_Infected के घर के बाहर पोस्टर लगाना जरूरी नहीं, #SupremeCourt का फैसला
Last Updated on December 9, 2020 by
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमितों के घर के बाहर पोस्टर लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (#SupremeCourt) ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरजरूरी बताया है। कोर्ट ने कहा है कि यह पोस्टर सिर्फ तभी लगाए जा सकते हैं, जब डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी ने इसके आदेश दिए हो। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला कोरोना से संक्रमित (#Corona_Infected) लोगों के घरों के बाहर पोस्टर नहीं चिपकाने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर याचिका सुनाया।
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पीठ में शामिल जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि केंद्र ने पहले ही इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं इसलिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस तरह के पोस्टर नहीं लगाने चाहिए। केंद्र ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसके दिशानिर्देशों में कोरोना संक्रमित रोगियों के घरों के बाहर पोस्टर (Poster) लगाने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया गया है। पोस्टर लगाने की मंशा किसी को कलंकित करना नहीं हो सकता।
बता दें कि इससे पहले 1 दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोरोना रोगियों के घरों के बाहर पोस्टर या साइनेज चिपकाए जाने के बाद प्रभावित लोगों के साथ अछूत जैसा व्यवहार होता है, जो एक अलग ‘जमीनी वास्तविकता’ को दर्शाता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 3 दिसंबर को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा दायर हलफनामे का उल्लेख किया था और पीठ को बताया था कि दिशानिर्देशों में पोस्टर चिपकाने की बात नहीं है। याचिकाकर्ता कुश कालरा की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि कोरोना से संक्रमित पाए जाने वालों के घर के बाहर पोस्टर चिपकाए जाने के दिशानिर्देशों में ऐसा कोई निर्देश नहीं है, लेकिन ‘वास्तविकता इससे बहुत अलग है’। मेहता ने पीठ से कहा था कि केंद्र ने पोस्टर चिपकाना निर्धारित नहीं किया है और कुछ राज्य वायरस के प्रसार को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बादग पीठ ने 3 दिसंबर को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।