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लेखराज धरटा/शिमला। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा (Dr. Rajendra Prasad Medical College, Tanda) में सर्जरी विभाग के मुखिया पद पर तैनात डॉ. रमेश भारती को सचिवालय में सलाहकार बनाने के मामले में सुनवाई 9 अप्रैल के लिए टल गई है। हाईकोर्ट (High Court) ने इस मामले में आदेश जारी किए हैं कि प्रार्थी डॉ. रमेश भारती को एडवाइजर के पद पर कार्य करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा और वह टांडा मेडिकल कॉलेज में हेड ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी के पद पर कार्य करते रहेंगे। न्यायालय ने प्रथम दृष्टया यह पाया कि वर्तमान में एडवाइजर के पद के लिए कोई भी भर्ती एवं पदोन्नति नियम नहीं बनाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में एडवाइजर की के पद का सृजन किया है। राज्य सरकार के मुताबिक निदेशक मेडिकल एजुकेशन के पास पहले ही बहुत कार्य हैं, उसे 6 मेडिकल कॉलेजों व एक डेंटल कॉलेज का कार्य भी देखना पड़ता है।
प्रार्थी ने अपनी नियुक्ति को एडवाइजर के तौर पर यह कहकर चुनौती दी है कि यह आदेश नियमों के खिलाफ हैं। वह राजेंद्र मेडिकल कॉलेज टांडा के जाने माने शल्य चिकित्सक हैं और 30 दिसंबर 2016 को प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत किया गया था। प्रिंसिपल के पद पर रहते हुए भी उसने 200 सर्जरी 1 साल में की हैं। प्रार्थी ने अपने स्थानांतरण आदेश को कहकर चुनौती दी है कि उसके स्थानांतरण आदेश कानूनी तौर पर गलत हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार जो व्यक्ति एडवाइजर पद लिए प्रस्तावित था, वही चयन समिति का सदस्य था। अत सारी प्रक्रिया गलत थी। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने पिछले एक वर्ष से ऐसे व्यक्ति को प्रिंसिपल का दायित्व से रखा है जो एलिजिबल नहीं है, उसे विभागीय पदोन्नति समिति ने वर्ष 2016 में उसको अयोग्य करार दिया था। प्रार्थी के अनुसार एडवाइजर का पद प्रार्थी को टांडा कॉलेज के प्रिंसिपल पद से हटाने के लिए बनाया गया है तथा प्रदेश में कार्यरत उससे वरिष्ठ प्रोफेसर व प्रिंसिपल की अनदेखी कर उसे चुनना कानूनन सम्मत नहीं है।
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