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#Corona से लड़कर समझे लोगों की मुश्किल, अब डल में चला रहे “शिकारा एंबुलेंस”
श्रीनगर।डल झील अपने दिलकश नज़ारों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, लेकिन आजकल यहां लोगों के लिए एक अनोखी “शिकारा एंबुलेंस” (Shikara ambulance) आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस एंबुलेंस को डल झील में रहने वाले तारिक अहमद पतलू (46) के प्रयासों से शुरू किया जा सका है। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान पेश आने वाली परेशानियों के कारण वह ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित हुए। डल झील ना सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करने वाले 1500 से अधिक शिकारों और करीब 600 से अधिक हाउसबोट का घर है, बल्कि इस झील में एक अच्छी ख़ासी आबादी भी है जो यहां रहती है। लोगों को तब परेशानी का सामना करना पड़ता है जब कोई बीमार होता है। ऐसे में झील निवासियों को बड़ी मुश्किल से अपने मरीज़ को शिकारे के सहारे किनारे तक लाना पड़ता है।
ऐसा ही कुछ 46 वर्षीय तारिक अहमद पतलू (Tariq Ahmed Patlu) को कोरोना महामारी के दौरान करना पड़ा। तारिक ने कहा कि कुछ महीने पहले वह कोरोना से संक्रमित हुए, कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत वह पहले अपने हाउसबोट में आइसोलेशन में चले गए, लेकिन हालत बिगड़ी तो अस्पताल जाना पड़ा। जब वह अस्पताल से वापस लौटे तो डल झील के किनारे शिकारे वालों ने उन्हें उनकी हाउसबोट तक ले जाने से इनकार किया। बड़ी मुश्किल से परिवार के सदस्यों ने उन्हें घर तक पहुंचाया।तारिक ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों की सहायता से डल झील (Dal Lake) में शिकारा एंबुलेंस सेवा शुरू करने का फैसला किया। करीब दो महीने की मेहनत और 12 लाख रुपए की लागत के बाद वह इस शिकारा एंबुलेंस को तैयार कर पाए। इस एंबुलेंस सेवा का लाभ उठाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले वर्ष 1865 में झेलम नदी में मरीजों को लाने और ले जाने के लिए एक बोट हुआ करती थी।
इसके बाद तो ये सेवा बंद ही हो गई और फिर किसी ने इस बारे में सोचा नहीं।