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चेन्नई। इंट्रायूटेरिन फर्टिलिटी प्रक्रिया के जरिए स्पर्म डोनर की मदद से पैदा हुई तविशी परेरा देश की पहली बिना पिता की संतान बन गई हैं। मद्रास High Court के आदेश में कहा गया है कि तविशी के नाम के आगे पिता का नाम खाली रहेगा। तविशी की मां मथुमिता का पति चरण राज से तलाक हो चुका है। उसके बाद वे स्पर्म डोनर की मदद से प्रेग्नेंट हुईं।
अप्रैल 2017 को पैदा हुई तविशी के नाम के आगे पिता का नाम हटवाने के लिए मां मथुमिता ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी।
इससे पहले त्रिची कॉर्पोरेशन कमिश्नर ने बच्ची के जन्म प्रमाणपत्र में मनीष मदनपाल मीणा का नाम ‘पिता’ के तौर पर लिख दिया, जिसने इलाज के दौरान मथुमिता की सहायता की थी। मथुमिता जब इसे हटवाने के लिए संबंधित अधिकारियों के पास पहुंचीं तो उनकी इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि सर्टिफिकेट में से नाम को केवल सुधारा जा सकता है, हटाया नहीं जा सकता। इसके बाद मथुमिता ने High Court का दरवाजा खटखटाया, जहां जज ने रेवेन्यू अधिकारियों को सर्टिफिकेट दुरुस्त करने का निर्देश दिया।
लेकिन रेवेन्यू डिवीजनल अधिकारियों के पास से यह आदेश इस आधार पर फिर से खारिज हो गया कि जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रार ही इस मसले का समाधान कर सकते हैं। इसके बाद मथुमिता फिर से कोर्ट की शरण में पहुंचीं, जहां कौंसिल ने कहा कि मीणा का नाम गलती से सर्टिफिकेट में आ गया था। जस्टिस एम. एस. रमेश ने यह स्पष्ट होने के बाद कि मथुमिता ने डोनेटेड स्पर्म की मदद से इंट्रायूटेरिन फर्टिलिटी प्रक्रिया के जरिए गर्भधारण किया था, उनकी मांग को मंजूरी दे दी। जस्टिस रमेश ने सभी तथ्यों के आधार पर त्रिची कॉर्पोरेशन के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को पिता के नाम के आगे से मीणा का नाम हटाने का निर्देश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद अब यह कॉलम खाली रहेगा।
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