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लीलाधर चौहन/जंजैहली। जहां एक तरफ सारा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है वहीं सराज घाटी में तेहरी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। माघ महीने की शुरुआत से 13 दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व का सिराज में काफी महत्व है। सदियों से मनाया जाने वाला तेहरी पर्व 26 जनवरी को इस बार भी जंजैहली, केलोनाल, जरोल, लम्बाथाच, पांडवशीला, थुनाग, शिल्हीबागी, शिवाखड, बागाचनोगी, भाटकीधार, कल्हणी, सराची, शिकावरी, गुनास, बगस्याड, कांढा, केउलीधार, सहित पूरे सराज के गांव-गांव में धूमधाम से मनाया जा रहा है। बता दें कि सराज की पुरातन परंपरा के अनुसार तेहरी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन राजमाह और माह की खिचड़ी के साथ देसी घी अगर घर की बेटियों (जाईयों) को खिलाया जाए तो साल भर घर में खुशहाली रहती है।
जानकारी के अनुसार माघ महीने को एक धर्मी महीने के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस शुभ महीने के तेरह दिन के अन्दर पिता के घर बेटी और भाई के घर में बहन को जरूर ही जाना पड़ता है। पिता अपनी बेटी और भाईअपनी बहन के लिए दान के रूप में कुछ न कुछ भेंट जरूर देता है। इस महीने भान्जे या फिर भान्जी को दान देना अति शुभकारी माना जाता है।
हालांकि रिवाज के अनुसार जब तक भान्जा खिचड़ी नहीं खाता तब तक परिवार का कोई भी सदस्य खिचड़ी नहीं खा सकता। यह अशुभ माना जाता है। इस शुभ माह के तेरह दिन सराज में राजमाह एवं माह की खिचड़ी और घी प्रमुख व्यंजन माने जाते हैं और यह खिचड़ी गांव के लोगों और रिश्तेदारों को भी खिलाई जाती है।
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