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धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में शुमार पांगी, शिलाई एवं डोडरा क्वार में भी टेलीमेडिसन प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना पर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है। अपनी कठिन भौगोलिक परिस्थिति के कारण यह क्षेत्र भी कई महीनों तक प्रदेश के अन्य भागों से कटे रहते हैं और ऐसे समय में यहां के निवासियों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
केलांग और काजा की तर्ज पर उक्त क्षेत्रों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हों इसलिए टेलीमेडिसन प्रोजेक्ट शुरू करने के प्रयास हैं। यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर एवं टेलीमेडिसन प्रोजेक्ट के नोडल ऑफिसर डॉ. राजेश गुलेरी ने धर्मशाला में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में दी।
डॉ. गुलेरी ने बताया कि 2015 में प्रदेश के केलांग और काजा के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। डॉ. गुलेरी ने कहा कि हिमाचल का टेलीमेडिसन प्रोजेक्ट दुनिया का एकमात्र ऐसा प्रोजेक्ट है जो की समुद्रतल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर भी कार्यरत है। ऊंचाई की बात करें तो एक ऐसा ही प्रोजेक्ट अलास्का में भी है पर वह कार्यरत नहीं है। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है और हेल्थकेयर अवार्ड मिलने से प्रदेश का मान बढ़ा है। डॉ. गुलेरी का कहना है टेलीमेडिसन सुविधा के लिए सबसे ज्यादा जरुरी चीज निर्बाध इंटरनेट सेवा है। प्रदेश के दो केंद्रों में ही निर्बाध इंटरनेट सुविधा के लिए सालाना 50 लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। बिजली व्यवस्था बनाए रखने के लिए सोलर सिस्टम और जनरेटर पर निर्भर रहना पड़ता है। बिजली और इंटरनेट मूलभूत आवश्यक्ताएं थीं और चुनौती भी, जिनसे हमने पार पा लिया है। दो स्थानों पर प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक चलाने पर हम आश्वस्त हैं कि नए क्षेत्रों में भी हम यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक चला पाएंगे। डॉ. गुलेरी ने बताया कि प्रदेश के इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2015 में बेस्ट प्रैक्टिस अवार्ड, 2016 में गोल्ड फ्लेम अवार्ड भी मिल चुका है। उन्होंने बताया कि नेशनल ई-गवरनेंस अवार्ड के लिए भी विभाग ने आवेदन किया है और उम्मीद है कि उसमें भी प्रदेश को सम्मान मिलेगा। इस अवसर पर सीएमओ कांगड़ा डॉ.आरएस राणा भी मौजूद रहे।
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