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हिमाचल प्रदेश में कई जगह ऐसी हैं, जहां पर देश-विदेश से लोग यहां का इतिहास जानने आते हैं। महाभारत और रामायण काल की ऐसी ही कई जगह हैं, जहां से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसकी कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है। हिमाचल के कांगड़ा जिले में कुछ ऐसे मंदिर हैं, जो साल के आठ महीने पानी में डूबे रहते हैं। जब पानी उतरता है तो ये मंदिर नजर आते है। इन दिनों पानी उतरने के कारण ये मंदिर दिखाई दे रहे हैं।
पौंग बांध में डूबे इन मंदिरों को बाथू मंदिर के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे ‘बाथू की लड़ी’ कहते हैं. ये मंदिर 70 के दशक में इस बांध के पानी में डूब गए थे। बांध का जलस्तर कम होने पर ये दिखाई देते हैं और लोग यहां तक पहुंच पाते हैं। कहा जाता है कि पांडवों को अज्ञातवास के दौरान स्वर्ग को जाने के लिए इन्हें एक ही रात में बनाना था। इसलिए पांडवों ने 6 माह की एक रात बनाकर कार्य शुरू किया। स्वर्ग तक पहुंचने के लिए अभी अढ़ाई सीढ़ियां शेष बची थीं कि साथ में कोल्हू पर तेल निकाल रही महिला चिल्ला कर बोली- मैंने 6 माह का काम कर लिया है लेकिन रात खत्म ही नहीं हो रही है। इसके साथ ही सीढ़ियां गिर गईं तथा पांडव इसको अधूरा छोड़कर चले गए । पांडवों ने ही यहां आराधना के लिए शिव मंदिर भी बनाया था। पेयजल व स्नानादि के लिए कुआं भी था। इतना ही नहीं पौंग बांध बनने से पहले द्रोपदी के हाथों से कढ़ाई की गई शॉल भी थी तथा एक काफी बड़ा गेहूं का दाना भी था।
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