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द इकोनॉमिस्ट ने भारत को बताया- ‘असहिष्णु’; “BJP का चुनावी अमृत, देश के लिए राजनीतिक जहर”
Last Updated on January 24, 2020 by
नई दिल्ली। मशहूर मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने अपने नए एडिशन की कवर स्टोरी में भारत में सीएए (CAA) और उसके खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का ज़िक्र किया है। अब मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ (The Economist) के नए कवर पेज (Cover Page) पर विवाद शुरू हो गया है। ‘असहिष्णु भारत, कैसे मोदी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को बर्बाद कर रहे हैं?’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया कि ‘नरेंद्र मोदी सरकार का यह कदम उकसावे की दशकों पुरानी योजना का हिस्सा है’ और ‘अहिंसा की बात करने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की स्मृति को मोदी (Modi) खराब कर रहे हैं’।
How India's prime minister and his party are endangering the world's biggest democracy. Our cover this week https://t.co/hEpK93Al11 pic.twitter.com/4GsdtTGnKe
— The Economist (@TheEconomist) January 23, 2020
इसके कवर पेज पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनाव चिह्ण कमल को कंटीली तारों के बीच में दिखाया गया है। मौजूदा सरकार की नीतियों समीक्षा में मैगजीन ने कहा है कि मोदी सहिष्णु और बहुधर्मीय समाज वाले भारत को उग्र राष्ट्रवाद से भरा हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में जुटे हैं। इकोनोमिस्ट में चर्चा की गई है, ‘बीजेपी के लिए जो चुनावी अमृत है वो भारत के लिए एक राजनीतिक ज़हर है। भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना की अनदेखी करते हुए मिस्टर मोदी ने भारत का जो नुकसान किया है वो दशकों तक चलने वाला अंतहीन मुद्दा है।’ द इकोनॉमिस्ट ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) एनडीए सरकार के दशकों से चल रहे भड़काऊ कार्यक्रमों में सबसे जुनूनी कदम है।
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NRC के मुद्दे पर लेख में लिखा है कि अवैध शरणार्थियों की पहचान करते हुए असल भारतीयों के लिए रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया से 130 करोड़ भारतीय भी प्रभावित होंगे। ये कई साल तक चलेगा। लिस्ट तैयार होने के बाद इसको चुनौती और फिर से दुरुस्त करने का भी सिलसिला चलेगा। मैगजीन ने लिखा है कि इस तरह के मुद्दों को आगे कर अन्य मुद्दों जैसे- अर्थव्यवस्था आदि पर जनता को भटकाया जा रहा है। बीजेपी की जीत के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से जूझ रही है।