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#FlashBack 2023 व्यवस्था परिवर्तन की राह पर अटल रहा हिमाचल का गुजरता हुआ साल
लेखराज धरटा/ शिमला। 11 दिसंबर 2022: तीन दिन पहले ही हिमाचल की 68 में से 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीतकर कांग्रेस विधायक दल के नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) शिमला के रिज मैदान पर सीएम पद (Oath Of Chief Minister Of Himachal Pradesh) की शपथ ले रहे थे। उनके साथ मुकेश अग्निहोत्री ने भी डिप्टी सीएम की शपथ ली। अपने पहले उद्बोधन में सीएम ने कहा कि वे सत्ता सुख के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं। बस उस दिन के बाद अपने एक साल के कार्यकाल में अभी तक सीएम सुक्खू का ध्यान व्यवस्था परिवर्तन (System Change) से डगमग नहीं हुआ है।
हिमाचल प्रदेश की खस्ताहाल माली हालत को देखते हुए मार्च 2023 को सुक्खू सरकार के पहले बजट (First Budget) का राज्य के लोगों को बेसब्री से इंतजार था। वजह यह कि कांग्रेस लोगों को 10 गारंटियां (10 Guarantees) देकर सत्ता में आई थी। लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की तरफ बढ़ती सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश का पहला ग्रीन बजट (Himachal First Green Budget) पेश कर पूरे देश का चौंका दिया। उनकी सरकार ने साफ कर दिया कि 2026 तक हिमाचल प्रदेश को ग्रीन स्टेट (Green State) बनाना ही है। इस वादे को कायम रखते हुए सुक्खू सरकार ने हिमाचल के परिवहन विभाग (Himachal Transport Department) को ग्रीन एनर्जी संचालित बना दिया। यह हिमाचल का ही नहीं, बल्कि देश का पहला ग्रीन परिवहन विभाग है।
इकोनमी को पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती
हालांकि, मूल चुनौती कर्ज में डूबी हिमाचल की बिगड़ी अर्थव्यवस्था (Debt Ridden Himachal Economy) को पटरी पर लाने की थी। सुक्खू सरकार ने कहा कि अगले 4 साल (2026 तक) में राज्य की इकोनमी को पटरी पर ले आया जाएगा। साथ ही अगले 10 साल में हिमाचल प्रदेश को देश का नंबर 1 राज्य बनाने का भी ऐलान किया गया।
प्राकृतिक आपदा ने पानी फेर दिया
लेकिन कुदरत ने जुलाई-अगस्त में हिमाचल प्रदेश पर ऐसी आफत (Himachal Rain Disaster) बरसाई, जो लोगों ने बीते 50 साल में नहीं देखी थी। करीब 16 हजार मकान टूट (House Collapsed) गए। लोग बेघर होकर अपने परिवार के साथ राहत शिविरों में रहने पर मजबूर हो गए। लैंडस्लाइड और प्रलयंकारी बाढ़ (Landslide And Flood) ने ऐसी तबाही मचाई कि 500 से ज्यादा लोगों और सैंकड़ों की संख्या में मवेशियों की जान चली गई। राज्य सरकार को 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए पेंशन और सालाना एक लाख नौकरियां देने जैसी गारंटियों पर अमल रोकना पड़ा, क्योंकि पहले जरूरत आपदा प्रभावितों को राहत (Provide Relief To Disaster Affected Families) देने की थी। हिमाचल विधानसभा ने राज्य को आपदाग्रस्त घोषित करने का संकल्प पारित किया और केंद्र सरकार से राहत सहायता राशि मांगी। हालत यह थी कि लोगों को मकान और खेत को नुकसान के ऐवज में वैकल्पिक जमीन (Alternative Land) तक उपलब्ध नहीं थी।
केंद्र की अनसुनी और सरकार की दरियादिली
इरादों के पक्के सीएम सुखविंदर सिंह ने केंद्र से मदद नहीं मिलने के बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने हिमाचल के बेहद सीमित संसाधनों से आपदा प्रभावितों के लिए 4500 करोड़ रुपए की विशेष राहत राशि (Special Relief Amount) देने का ऐलान किया। पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों, दुकान, खेत-खलिहान, मवेशी जैसे सभी मदों में सरकार ने मुआवजा राशि में 10 गुना बढ़ोतरी (Compensation Amount Increased) कर व्यवस्था परिवर्तन की सोच का परिचय दिया। उन्होंने खुद अपने निजी खाते से सीएम आपदा राहत कोष 2023 में 51 हजार रुपए दिए। यहां तक कि राहत शिविरों में बड़ी मुश्किल से रह रहे बेघर लोगों को मार्च 2024 तक किराए के मकानों में रहने की सुविधा के लिए भी सरकार ने किराए का इंतजाम किया।
गंभीर होता कर्ज का मर्ज
आज हिमाचल प्रदेश धीरे-धीरे आपदा के प्रकोप से उबर रहा है। लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्ज में डूबती राज्य की अर्थव्यवस्था है। सुक्खू सरकार ने इसके बावजूद तीन गारंटियां पूरी की हैं और नए साल की शुरुआत में कुछ और गारंटियां पूरी होंगी। सरकार का यह कहना भी वाजिब है कि अगर राज्य में इतनी बढ़ी आपदा नहीं आती तो सरकार के कार्यकाल के पहले ही साल में कुछ और गारंटियों- जैसे किसानों से गोबर और दूध खरीदने और लोगों को 300 यूनिट बिजली मुफ्त (Free Electricity) देने का वादा पूरा हो सकता था।
2024 का जनादेश सरकार की अग्निपरीक्षा
लेकिन साल के आखिरी महीने में सुक्खू सरकार ने कांगड़ा में 250 करोड़ से ज्यादा का निवेश (Investment) लाने, वॉटर सेस पर कड़ा रवैया अख्तियार कर यह जरूर दिखा दिया है कि वह अपने स्तर पर निवेश और रोजगार (Employment) देने के लिए नए संसाधनों की खोज में जुटी है। उम्मीद करें कि साल 2024 में सुक्खू सरकार हिमाचल के लोगों के लिए व्यवस्था परिवर्तन के नजरिए से खरा उतरने की पूरी कोशिश करेगी। साल 2024 लोकसभा का चुनावी साल (Lok Sabha Election) है और जनता जनार्दन का जनादेश हिमाचल सरकार की असली परीक्षा भी होगी।