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नई दिल्ली। हिमालय ग्लेशियर की बर्फ पिघलने से मौसम खराब होने की संभावना जताई गई है। इसके लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डिवेलपमेंट द्वारा अलर्ट भी जारी किया गया है। जिसके मुताबिक आने वाले समय में दुनिया का तीसरा ध्रुव समझे जाने वाले हिमालय ग्लेशियर का दो तिहाई हिस्सा पिघल सकता है। ‘हिंदू-कुश हिमालय असेसमेंट’ नामक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने वाला पैरिस संधि लक्ष्य हासिल हो जाता है तो भी एक तिहाई हिमनद पिघलेगा ही।
इस रिपोर्ट के अनुसार हिमालय ग्लेशियर के पिघल जाने से वायु प्रदूषण के कारण प्रतिकूल मौसम होने जैसे परिणाम सामने आ सकते हैं। ऐसे में मॉनसून से पहले नदियों में निम्न प्रवाह से शहरी जल व्यवस्था, खाद्य एवं ऊर्जा उत्पादन अस्त व्यस्त हो जाएगा। ये ग्लेशियर गंगा, सिंधु, येलो, मेकोंग समेत दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण 10 नदियों में जलापूर्ति करते हैं और अरबों लोगों के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भोजन, ऊर्जा, स्वच्छ वायु और आय का आधार मुहैया कराते हैं। अनुमान के मुताबिक यह ग्लेशियर साल 2100 तक पिघल सकता है। यह रिपोर्ट काठमांडू के इंटरनैशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डिवेलपमेंट इन नेपाल द्वारा प्रकाशित हुई है।
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