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रेणुकाजी। मां रेणुकाजी व बेटे भगवान परशुराम के मिलन का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय रेणुका मेले का शानदार शुभारंभ हो गया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल (Dr. Rajeev Bindal) ने भगवान परशुराम की पालकी को कंधा देकर मेले का विधिवत शुभारंभ किया। भव्य शोभायात्रा में देवताओं की कई पालकियां आकर्षण के केंद्र रहीं। हालांकि ये पहला मौका है जब रेणुका मेले की परंपरा बदली है। हर साल सीएम ही देवपालकी को कंधा देकर शोभायात्रा का शुभारंभ करते आ रहे है। यही परंपरा कई दशकों से चली आ रही है।
पहली बार ऐसा हो रहा है जब रेणुका उत्सव में सीएम की कमी खली। इस बार सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) मेले के समापन पर 12 नवंबर को रेणुका पहुंचेंगे। जबकि समापन राज्यपाल करते आ रहे हैं। इस बार मेले का शुभारंभ विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने किया। धर्मशाला में आयोजित हो रही इंवेस्टर मीट और रेणुका मेला एक ही दिन पड़ने से सीएम मेले का शुभारंभ नहीं कर पाए। ददाहू स्कूल के खेल परिसर से विस अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने देवपालकी की कंधा देकर शोभायात्रा का शुभारंभ किया।
करीब पौने तीन बजे स्थानीय खेल मैदान से शुरू होकर ददाहू बाजार, गिरिपुल, बड़ोन, देवशिला व मेला मैदान से होते हुए शाम ढलने से पूर्व रेणुकाजी तीर्थ के त्रिवेणी संगम पर पहुंची। जहां देवताओं का पारंपरिक मिलन हुआ। इस मिलन को नजदीक से निहारने व इस पावन पलों के साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम मेले में दिखाई दिया। शोभायात्रा प्राकृतिक लोक वाद्य यंत्रों, शंख, घंटियाल, ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजे के साथ निकाली गई। इससे रेणुका (Renuka) की वादियां भक्तिमय हो उठीं। शोभायात्रा में भगवान परशुराम के प्राचीन जामू मंदिर, कटाह मंदिर, माशू देवता मंदिर व मंडलाह के मंदिरों से लाई गई देव पालकियां भारी आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।
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