-
Advertisement
डोपिंग टेस्ट में आरोपमुक्त हुई खिलाड़ी ने IWF से की मुआवजे की मांग
Last Updated on June 11, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) की दोहरी स्वर्ण पदक विजेता वेटलिफ्टर संजीता चानू को अर्जुन पुरस्कार दिए जाने के मामले में अदालत के फैसले पर सरकार को गौर करने के लिए कहा गया है। खिलाड़ी को डोपिंग के मामले में साल 2018 में ही क्लीन चिट दी जा चुकी थी ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने खेल मंत्रालय को भी एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि खिलाड़ी को डोपिंग के आरोपों में दोष मुक्त पाया गया था। अदालत ने अगस्त 2018 के फैसले पर पुरस्कार समिति से उनके नाम पर गौर करने के लिए कहा गया था, मंत्रालय ने भी आश्वासन दिया है कि इस मामले पर जल्द ही गौर किया जाएगा। इस सबंध में सरकार जल्द ही कोई फैसला ले सकती है।
मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए माफ़ी और मुआवजे की मांग
उधर, महासंघ ने भी संजीता चानू के खिलाफ लगाए डोपिंग के आरोपों को उनके नमूनों में एकरूपता नहीं पाए जाने के चलते खारिज कर दिया था जिसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता इस खिलाड़ी ने माफी मांगने और मुआवजा देने की मांग की है। चानू का कहना है कि आईडब्ल्यूएफ ने अपने कड़े रवैये से उनसे टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने का मौका छीन दिया। इससे उन्हें जो मानसिक पीड़ा पहुंची है उसके लिए माफी मांगनी चाहिए और मुआवजा भी मिलना चाहिए। डोपिंग के आरोपों से बरी होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार संजीता अर्जुन पुरस्कार के लिए मान्य हैं।
मंत्रालय को फेडरेशन की तरफ से जो पत्र लिखा गया है उसमें कहा गया है कि ‘अब अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने संजीता को क्लीन चिट दे दी है तो 30 अगस्त 2018 के फैसले पर अमल होना चाहिए और संजीता को 2017 के लिए अर्जुन पुरस्कार दिया जाना चाहिए।’
अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने संजीता को दी क्लीन चिट
बता दें, मई 2018 में उसे प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का दोषी पाया गया था। हालांकि, अदालत ने अगस्त 2018 के फैसले में पुरस्कार समिति से उसके नाम पर अर्जुन पुरस्कार के लिए गौर करने को कहा और फैसला सीलबंद लिफाफे में रखने के लिए कहा था। ऐसे में इंडियन वेटलिफ्टर फेडरेशन ने (Indian Wrestling Federation) ने खेल मंत्रालय को पत्र लिखकर अदालत के फैसले पर गौर करने का आग्रह किया।