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यहां लगा था दुनिया का पहला ATM, एक आइडिया जिसने बदली बैंकिंग की दुनिया
World’s first ATM: आज के समय हम में से अधिकतर लोग एटीएम सुविधा का उपयोग करते हैं। एटीएम मशीन में बस कार्ड डालिए और मिनटों में पैसे निकल जाते हैं। वर्तमान में एटीएम मशीन हर गली और मोहल्ले में लगी हुई है। सोचिए जरा उस वक्त जब न तो इंटरनेट था, न कोई डिजिटल पेमेंट तब एक ऐसी मशीन बनाई गई जो बिना किसी इंसानी सहायता के अपने आप पैसे दे सकती थी। यह अपने आप में एक चमत्कार से कम नहीं था। एटीएम आने के बाद दुनिया भर की बैंकिंग में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। इसी कड़ी में आज इस खबर के माध्यम से हम आपको दुनिया की पहली एटीएम के रोचक इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
लंदन के बार्कलेज में लगाया था पहली बार एटीएम
27 जून, 1967 को जॉन शेफर्ड बैरन ने पहली बार एटीएम को लंदन के बार्कलेज में लगाया था। हालांकि, दुनिया की पहली एटीएमसे एक बार में केवल 10 पाउंड ही निकाले जा सकते थे। लेकिन उस वक्त जब पहली बार लोगों ने मशीन को नोट उगलते हुए देखा तो दुनिया हैरान थी।दुनिया के इस पहले एटीएम से उस वक्त ब्रिटिश अभिनेता रेग वर्णय ने पैसे निकाले थे। खैर आज तो इसका जाल दुनियाभर में फैल चुका है। रोचक बात यह है कि जॉन शेफर्ड बैरन ने एटीएम का पेटेंट नहीं करवाया था, उनका कहना था कि अगर वो इस टेक्नोलॉजी का पेटेंट कराते हैं तो हैकर्स द्वारा इसका फायदा उठाया जा सकता है। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते एटीएम मशीन का वास्तविक अविष्कारक कौन था? इसको लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं। पहली बार जब एटीएम सर्विस का उद्घाटन समारोह हुआ था उस समय इस नई तकनीक को देखने के लिए काफी भीड़ जुटी थी।
1987 में हुई भारत में एटीएम सर्विस की शुरुआत
वहीं भारत में साल 1987 में एटीएम सर्विस की शुरुआत हुई थी। इस दौरान मुंबई में हॉन्गकॉन्ग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन लि ने पहली एटीएम मशीन लगाई थी। आरबीआई की मानें तो देश में सितंबर 2020 तक 2,34,244 मशीनें लगाई जा चुकी थीं। जॉन शेफर्ड ने पहले इस एटीएम मशीन का पिन छह अंकों का रखा था, लेकिन कहा जाता है कि उनकी पत्नी को इसे याद करने में दिक्कत होती थी, इसलिए फिर उन्होंने इसे बदलकर 4 अंकों का कर दिया था।
