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सांप की तरह खाल छोड़ता है ये बच्चा, जानिए क्या है वजह
Last Updated on January 15, 2020 by
नई दिल्ली। सांप अपनी खाल (केंचुल) छोड़ते हैं यो तो आप जानते ही होंगे लेकिन क्या कभी ऐसे इंसान के बारे में सुना है जो खाल छोड़ता है। ओडिशा (Odisha) में एक बच्चा है जो सांप की तरह खाल छोड़ता है। इसे लोग ‘मानव सर्प’ भी कहते हैं। इस बच्चे की त्वचा भी लगभग हर महीने निकलती है। यह एक दुर्लभ बीमारी है जो करीब 6 लाख में से किसी एक को होती है। 10 साल के इस बच्चे का नाम जगन्नाथ है। ये ओडिशा के गंजम जिले में अपने माता-पिता के साथ रहता है। इसकी त्वचा पर मोटे-मोटे गहरे रंग के चकत्ते निकले हैं। ये चकत्ते हर महीने निकल जाते हैं। उनकी जगह फिर नए चकत्ते आते हैं। इस बीमारी (Disease) का नाम है लैमलर इचियोसिस। यह एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित जगन्नाथ हर घंटे नहाता है ताकि उसके शरीर से नमी कम न हो। नमी कम होते ही उसकी त्वचा निकलने लगती है जिसमें उसे काफी दर्द होता है।
जगन्नाथ के शरीर की त्वचा (Skin) अब इतनी कठोर हो गई है कि उसे चलने-फिरने में भी दिक्कत आती है। अगर उसे अपने हाथ-पैर सीधे करने होते हैं तो उसे किसी की मदद लेनी पड़ती है। जगन्नाथ के पिता प्रभाकर प्रधान चावल के खेतों में मजदूरी करते हैं। प्रभाकर इतना नहीं कमाते कि बच्चे को सही जगह दिखा सकें। जगन्नाथ को यह बीमारी बचपन से ही है। यह बीमारी 6 लाख लोगों में से किसी एक को होती है। यह बीमारी जीन्स में आई खराबी की वजह से होती है। इससे आदमी के शरीर की त्वचा बेहद धीमी गति से खुद को बनाती है। इसलिए जब त्वचा पूरी तरह से रूखी हो जाती है जैसे मछलियों और सांपों की त्वचा होती है।
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लैमलर इचियोसिस में त्वचा के ऊपर एक पतली परत बन जाती है जिसे कोलोडियोन मेंब्रेन (Kolodion Membrane) कहते हैं। यह धीमे-धीमे कड़ी होती जाती है और चकत्तों का रूप ले लेती है। कोलोडियोन मेंब्रेन कुछ हफ्तों में उतरती है लेकिन इसमें बहुत दर्द होता है। पीड़ित को जीवन भर इसी के साथ रहना होता है। उसे हर दिन दर्द सहना होता है। जगन्नाथ की आंखों पर भी कोलोडियोन मेंब्रेन बनी है। वह इतनी कड़ी है कि सोते समय वह अपनी पलकें भी बंद नहीं कर सकता। लैमलर इचियोसिस बीमारी दुनियाभर के कई देशों में पाई जाती है. यह एक जन्मजात बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है।