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नई दिल्ली। अपने कई लोगों की कहानियां (Stories) सुनी होंगी जिन्हे औरतों की रहना उनकी तरह सजना अच्छा लगता है लेकिन आज हम आपको जिस मामले के बारे में बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इस शख्स की कहानी किसी हॉरर कहानी (Horror Story) से कम नहीं है। यह शख्स पिछले 30 साल से महिला की तरह सौलह श्रृंगार किए हुए रहता है। इस बात का रहस्य उसकी मरी हुई पत्नी से जुड़ा हुआ है जानें क्या है वो कहानी।
जलालपुर क्षेत्र के हौज खास गांव निवासी 66 वर्षीय वृद्ध चिंताहरण चौहान उर्फ करिया के माता-पिता ने 14 साल की उम्र में ही उनकी शादी कर दी। विवाह के कुछ दिन बाद जीवन साथी ने साथ छोड़ दिया। इसके बाद वह 21 वर्ष की उम्र में चिंताहरण ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए कोलकाता के पश्चिम दिनाजपुर चले गए। जहां इन्हें कई भट्टों के मजदूरों के भोजन के सामान की खरीदारी की जिम्मेदारी मिली। वहां एक बंगाली की राशन की दुकान से नियमित सामान खरीदते थे। धीरे-धीरे दुकानदार से बातचीत बढ़ी और दुकानदार ने 25 साल की अवस्था में चिंताहरण से अपनी पुत्री के विवाह (Marriage) का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बिना सोचे समझे बंगाली लड़की से विवाह रचा लिया। यही निर्णय उनके जी का जंजाल बन गया।
जब शादी के बारे में चिंताहरण के परिवारवालों पता लगा तो उन्होंने इसका विरोध किया। अपनों की नाराजगी से बचने के लिए वह बिना बताए बंगाली पत्नी को छोड़कर घर भाग आए। उधर, बंगाली परिवार को चिंताहरण के घर का कोई पता नहीं था। पति के धोखे को पत्नी बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने आत्महत्या कर ली। एक साल बाद गलती का एहसास होने पर चिंताहरण जब वापस कोलकाता गए तो उनको पता चला कि पत्नी ने उनके वियोग में आत्महत्या कर ली।
उसके बाद घर वापस लौट आए। कुछ दिन बाद परिवारवालों ने तीसरी शादी कर दी और यहीं से समस्याओं का सिलसिला शुरू हो गया। शादी के कुछ ही दिन बाद चिंताहरण स्वयं बीमार पड़ गए। घर के सदस्यों के मरने का सिलसिला जारी हो गया। चिंताहरण ने बताया कि पिता राम जियावन, बड़ा भाई छोटाऊ, उसकी पत्नी इंद्रावती तथा उसके दो पुत्र, छोटा भाई बड़ाऊ तथा तीसरी पत्नी से तीन पुत्री व चार पुत्रों की मौत का सिलसिला एक के बाद एक कर चलता रहा।
चिंताहरण ने बताया कि अक्सर उसके सपने में बंगालन पत्नी आती थी। जो चिंताहरण से मिले धोखे पर खूब रोती थी। उन्होंने कहा कि अपनों की लगातार हो रही मौत से मैं टूट चुका था। एक दिन अपने में बंगालन पत्नी आई तो मैं इस पत्नी को बख्श देने के लिए गुहार लगाई। इसके बाद उसने स्वप्न में ही कहा कि मुझे सोलहों श्रृंगार के रूप में अपने साथ रखो तब सबको छोड़ दूंगी। उसकी बात मानकर व खौफ से भयभीत होकर आज 30 साल से सोलहों श्रृंगार करके स्त्री के रूप में जी रहा हूं। आप भले ही इसे अंधविश्वास कहें लेकिन चिंताहरण को पूरा विश्वास है कि नारी वेश धारण करने के बाद से वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हो गए। घर में मौत का सिलसिला भी बंद हो गया।
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