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# MonsoonSession तीन सदस्यीय दल करेगा मुंडाघाट मंदिर में हुई चोरी की जांच
Last Updated on September 16, 2020 by Deepak
शिमला। मानसून सत्र ( MonsoonSession)के दौरान आज सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह( Congress MLA Anirudh Singh) ने कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के तहत मुंडाघाट क्षेत्र में वर्षों पुराने हनुमान मंदिर में चोरी का मामला उठाया। विधायक ने सरकार से मांग की कि इस मंदिर से चोरी हुई मूर्तियों को जल्द खोजा जाए और चोरों का पता लगाया जाए। इस पर सीएम जयराम ठाकुर( CM Jairam Thakur) ने सदन को बताया कि इस मामले की जांच के लिए आईजी हिमांशुं मिश्रा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष अन्वेषण दल गठित किया गया है। इसमें एसपी विरेंद्र कालिया और एएसपी प्रवीर ठाकुर को शामिल किया गया है। ऐसे में इस मामले का जल्दी ही मामले का पटाक्षेप होने की उम्मीद है।उन्होंने कहा कि आईजी दक्षिण रेंज ने भी घटना स्थल का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर के सीसीटीवी कैमरा उस समय बंद थे जब चेारी हुई। उन्होंने कहा कि इस मंदिर से लगभग 4.50 लाख रुपए की मूर्तियां व गहने चोरी हुए हैं। इसमें एक मूर्ति 150 साल पुरानी थी। कुल चार प्राचीन मूर्तियां यहां से चोरी की गई हैं। ढली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच कर रही है और यहां पर सबूतों की तलाश जारी है। फिंगर प्रिंट भी लिए गए हैं, जिसका मिलान किया जा रहा है।
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नेरी खड्ड पर बन रहे पुल की सीएम खुद करेंगे निगरानी
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा है कि सुंदरनगर विधानसभा हलके की दुर्गम पंचायत धन्यारा के नेरी खड्ड पर बन रहे पुल के निर्माण के लिए सरकार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कररेगी। उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से इस पुल के निर्माण कार्य को देखेंगे। वे विधानसभा में नियम 62 के तहत विधायक राकेश जंबाल द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। सीएम ने कहा कि बार-बार एक ही ठेकेदार की वजह से काम में देरी हुई है, जिसे जुर्माना लगाने के बाद भी काम नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट को भी इस निर्माण कार्य की रिपोर्ट देनी होती है, लेकिन हैरानी है कि इतना दबाव होने के बाद भी निर्माण कार्य नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि ठेकेदार को पुल का निर्माण 18 महीने में करना था, जो नहीं किया गया। सीआरएफ के फंड से तत्तापानी-सलापड ऐसी पहली सड़क है, जिसको 219 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। वर्ष 2007 में इसकी प्रस्तावित लागत 173 करोड़ रुपए थी। उन्होंने कहा कि नेरी पुल पहले 68 मीटर का स्पैन था, जो बाद में 81 मीटर तक पहुंच गया। लिहाजा नए सिरे से डीपीआर बनानी पड़ी। उन्होंने माना कि ठेकेदार की धीमी गति की वजह से काम प्रभावित हुआ है।इससे पूर्व, विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि दुर्गम पंचायतों को जोड़ने के लिए यह सड़क बेहद जरूरी है, जिसका निर्माण सालों से अटका हुआ है। सुन्दरनगर को तत्तापानी से जोड़ने के लिए यह महत्वपूर्ण है, वहीं इससे शिमला की दूरी भी कम हो सकेगी। उन्होंने कहा कि नेरी में पुल नहीं बनने से लोगों को खड्ड में उतरना पड़ता है, जिसमें आधा घंटा लग जाता है। इसके बाद फिर सड़क पर चढ़ते हैं, जिसमें काफी ज्यादा समय लगता है।