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तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस : 62वीं वर्षगांठ पर शहीद तिब्बतियों के बलिदान को किया याद
Last Updated on March 10, 2021 by Sintu Kumar
कांगड़ा/कुल्लू/सिरमौर। तिब्बती समुदाय के लोगों ने आज राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 62वीं वर्षगांठ मनाई। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश में कई जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे तिब्बती शरणार्थियों ने इक्कठे होकर चीन के विरोध में रैलियां निकाली। इसी कड़ी में निर्वासित सरकार (Tibetan govt in exile) के पीएम डॉ लोबसांग सांग्ये, उनके मंत्रिमंडल के मंत्री और निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों सहित सैकड़ों की संख्या में लोग आज धर्मशाला (Dharamshala) के मैक्लोडगंज में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मुख्यालय में एकत्रित हुए। मैक्लोडगंज में तिब्बती राष्ट्रगान के साथ राष्ट्रीय जनकांति की 62वीं वर्षगांठ की शुरुआत हुई और तिब्बती कलाकारों ने देशभक्ति गीतों का प्रदर्शन किया।
इस मौके पर तिब्बत की निर्वासित सरकार के पीएम लोबसंग सांग्ये (Sikyong Lobsang Sangay) ने कशाग के आधिकारिक बयान को पढ़ा। उन्होंने चीन से दलाईलामा के दूतों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का भी आग्रह किया, साथ ही तिब्बत के मसले पर समर्थन करने के लिए भारत, अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। लोबसांग सांग्ये ने कहा कि आज राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 62वीं वर्षगांठ है। इस दिन तिब्बत में आक्रमण और कब्जे के विरोध में तिब्बत में हजारों लोग एकत्रित हुए थे। सूत्रों के अनुसार मार्च 1959 और अक्टूबर 1960 के बीच हजारों तिब्बतियन मारे गए थे इसलिए आज उनके बलिदान को याद करने का दिन है।
इसके अलावा आज सिरमौर (Sirmaur) के पांवटा साहिब, पुरुवाला, सतौन, तिलोरधार में रह रहे तिब्बती शरणार्थियों ने सैकड़ों की संख्या में इकट्ठे होकर इस जनक्रांति समारोह में भाग लिया और रैली भी निकाली। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में तिब्बती समुदाय के लोगों ने शांति पूर्वक कुल्लू शहर में भी रैली का आयोजन किया। इसमें चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और चीन में तिब्बती समुदाय के लोगों पर अत्याचार के लिए चीन सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
तिब्बतन सपोर्ट ग्रुप के डिप्टी एडवाइजर पेमा नमज्ञाल ने कहा आज के दिन पूरी दुनिया में तिब्बती समुदाय (Tibetan Community) आजादी के लिए विद्रोह करता है ताकि चीन को पता चले की तिब्बती समुदाय के लोग जिंदा हैं और अपनी आजादी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत की आजादी के लिए करीब डेढ़ सौ तिब्बती लोगों ने अपनी आत्मदाह किया है। पूरी दुनिया में तिब्बत की आजादी के लिए समर्थन मिल रहा है ऐसे में भारत भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाए ताकि तिब्बत आजाद हो सके। उन्होंने कहा कि चीन ने कोरोना महामारी से पूरी दुनिया को भारी नुक्सान पहुंचाया है। यह सही मौका जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बता दें कि 1959 में चीन ने तिब्बत पर हमला कर आक्रमण किया था और तिब्बत के हजारों लाखों लोगों की मौत हुई औऱ कई बेघर हुए थे जिसके बाद लाखों लोग भारत में आए। ये लोग भारत में रहकर तिब्बत की आजादी के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं।