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धर्मशाला। तिब्बतियन वुमन एसोसिएशन ने संयुक्त राष्ट्र संघ से तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के प्रतिनिधियों से वार्तालाप करने का चीन पर दबाव बनाने का आग्रह किया है। तिब्बती महिला राष्ट्रीय विद्रोह की 58वीं वर्षगांठ रविवार को धर्मशाला में आयोजित रैली में निर्वासित महिलाओं ने यह मांग उठाई है। इस दौरान तिब्बती महिलाओं ने मैक्लोडगंज से कचहरी अडडा तक रैली निकाली तथा महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया।
वहीं तिब्बतियन वुमन एसोसिएशन ने चीन सरकार से अपनी वर्तमान नीतियों का पुन: अवलोकन करने की मांग है, क्योंकि चीन सरकार की दमनकारी नीतियों की वजह से तिब्बतियों को अंहिसात्मक आत्मदाह और प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
तिब्बतियन वुमन एसोसिएशन की अध्यक्ष डोलमा यानछेन ने कहा कि एसोसिएशन यूएनओ से मांग करती है कि चीन पर दबाव बनाकर जबरन बंदी बनाए गए 11वें पंचेन लामा को शीघ्र रिहा किया जाए। उन्होंने कहा कि चीन सरकार को तिब्बत के पूर्वी प्रांत सीरथर क्षेत्र में बौद्धमठ लारूंगमगर विध्वंस को रोका जाए। उन्होंने कहा कि यह मठ तिब्बत का सबसे बड़ा मठ है और सबसे अधिक आत्मदाह का कारण भी यही बौद्ध मठ बन रहा है। यही नहीं एसोसिएशन ने चीन नेतृत्व से प्रेस की आजादी के साथ तिब्बत में मानवाधिकारों का सम्मान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन धर्मगुरु दलाईलामा की दीर्घायु की कामना करती है और उम्मीद करते हैं कि तिब्बती लोग दलाईलामा के नेतृत्व में तिब्बत में संगठित हों। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन मध्य मार्ग प्रस्ताव जो कि निर्वासन में तिब्बती नेतृत्व द्वारा अपनाया गया है, अपना विश्वास जताती है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का मानना है कि यही एकमात्र रास्ता तिब्बत समस्या का समाधान कर सकता है।
डोलमा यानछेन ने कहा कि तिब्बती महिलाएं समुदाय के विकास एवं नेतृत्व में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं, जिसके चलते तिब्बती महिलाओं को सशक्त किया गया है। निर्वासन में रहते हुए भी तिब्बती महिलाओं ने समुदाय के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक पटल पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि चीन सरकार ने गैरकानूनी ढंग से तिब्बत पर कब्जा किया है। चीन सरकार की दमनकारी नीतियों के चलते चीन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेलों में डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 से अब तक तिब्बत आजादी की मांग को लेकर 145 युवा आत्मदाह कर चुके हैं डोलमा ने कहा कि एसोसिएशन सही वातावरण तैयार करने को प्रयासरत है, जिससे चीन सरकार से बातचीत हो सके। उन्होंने कहा कि हालांकि चीन द्वारा तिब्बत में विकास व खुशहाली की बात कही जाती है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है। तिब्बतियों को उनकी जमीनों से वंचित कर रोजगार छीना गया है। यही नहीं तिब्बतियों से उनकी पहचान भी छीन ली गई है। तिब्बत के प्राकृतिक संसाधन लूट लिए गए। आलम यह है कि चीन द्वारा तिब्बत में विकास के नाम पर पर्यावरण को ध्वस्त किया जा रहा है।
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