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समय यात्रा, एक अवधारणा है जिसके अनुसार, समय में विभिन्न बिंदुओं के बीच ठीक उसी प्रकार संचलन किया जा सकता है, जिस प्रकार अंतरिक्ष के विभिन्न बिंदुओं के बीच भ्रमण किया जाता है। इस अवधारणा के अनुसार किसी वस्तु (कुछ मामलों में सिर्फ सूचना) को समय में वर्तमान क्षण से कुछ क्षण पीछे अतीत में या फिर वर्तमान क्षण से कुछ क्षण आगे भविष्य में, बिना दो बिन्दुओं के बीच की अवधि को अनुभव किए, भेज सकते हैं।
मध्य यूरोप में रहने वाला पॉल डिनेक जर्मन भाषा का प्रोफेसर था। वह इंसेफ्लाइटिस की बीमारी के घातक प्रभाव में था, अचानक ही वह कोमा में चला गया। एक साल तक वह अस्पताल में ही रहा। जब वह वापस जागा तो उसने बताया कि वह समय यात्रा में था और यह समय वह 3906 के एक व्यक्ति के शरीर में रह कर आया था। हालांकि अपने इस अजीबोगरीब अनुभव को उसने किसी से कहा नहीं और वह इसकी चर्चा भी नहीं की क्योंकि वह जानता था कि तब लोग उसे पागल समझेंगे। पर वे बातें जो उसने इस बीच देखी सुनी थीं उसे परेशान करती थीं। इसलिए वह वे सारी बातें एक डायरी में लिखने लगा। डिनेक ने कभी भी लेखक बनने के बारे में नहीं सोचा था और न ही वह समय यात्रा में जाना चाहता था,पर अब वह अच्छी तरह जानता था कि कोमा के दौरान वह एंड्रयू नामक व्यक्ति के शरीर में था, जो एक घातक एक्सीडेंट से होकर गुजरा था। वह पॉल के प्रभाव की वजह से बीसवीं शताब्दी के मनुष्य के समान आचरण कर रहा था। उसके घरवालों ने उसके होश लौटाने के लिए पिछली दो सहस्राब्दियों की बातें सिससिलेवार ढंग से दोहराईं और इसी बात ने पॉल को एहसास दिला दिया कि वह भविष्य में था।
अब उसे इस बात की भी जानकारी हो गई थी इक्कीसवीं सदी के भविष्य में था। पॉल का स्वास्थ्य लगातार खराब रहने लगा वहां का वातावरण अनुकूल न पाकर वह ग्रीस चला गया और वहां अपनी आजीविका चलाने के लिए फ्रेंच और जर्मन पढ़ाने लगा। दो साल बाद उसका स्वास्थ्य और खराब हो गया। तो उसने इटली जाने की सोची। उसके छात्रों में जॉर्ज उसके ज्यादा करीब था। वहां जाने से पहले उसने अपनी डायरी जॉर्ज को दी और कहा कि वह अपनी जर्मन भाषा का अभ्यास इस डायरी में लिखी बातों का ग्रीक भाषा में अनुवाद कर के जारी रखे। डिनेक चला गया और 1924 में उसकी मौत भी हो गई। जार्ज ने उस डायरी पर पूरे 14 साल तक काम किया। पहले तो उसने इसे सामान्य उपन्यास ही समझा हां कथानक कुछ अजीब सा जरूर था पर बाद में उसने जान लिया कि यह एक डायरी थी और उसमें जो कुछ लिखा था वह बेहद महत्वपूर्ण था। पॉल को अपनी इस समय यात्रा में भविष्य की बहुत सी बातें पता चलीं थीं वह पूरी इक्कीसवीं शताब्दी का और इससे आगे का भी भविष्य जान चुका था।
डायरी में लिखा था कि 2000 से 2300 तक मानवता का नाश होगा … नैतिकता में गिरावट आएगी पर्यावरण असंतुलित होगा। हर चीज को लोग पैसे से ही तौलेंगे और अध्यात्म से जुड़े बहुत कम लोग रह जाएंगे। पॉल ने आगे लिखा है 2204 में धरती से 2 करोड़ लोग मंगल पर रहने चले जाएंगे लेकिन 60 साल बाद ही प्रकृतिक आपदा से सबका नाश हो जाएगा और मानव जाति फिर दोबारा मंगल पर जाने की बात नहीं सोचेगी। 2309 में वह लगातार युद्ध होने की बात करता है और यह भी कि अफ्रीका और पूर्वी एशिया में काफी आबादी खत्म हो जाएगी। युद्ध 100 साल तक जारी रहेगा और तब एक ग्लोबल पार्लियामेंट बनेगी जिसमें सांसद नेता नहीं बल्कि तकनीकी विशेषज्ञ,वैज्ञानिक और मानवतावादी होंगे। यह मानवजाति का स्वर्ण युग होगा।
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